इतने वर्षों में मैंने ये सीखा है कि आप कितना भी अच्छा काम कर लो, अगर फिल्म नहीं चलती तो कोई नहीं पूछता। लेकिन अगर फिल्म चल जाये, चाहे एक्टिंग औसत ही क्यों न हो, तो सब कुछ बदल जाता है।
मुन्ना भाई एमबीबीएस, जॉली एलएलबी और गोलमाल जैसी फिल्मों में अपने हास्य किरदारों से पहचान बनाने वाले अरशद वारसी अब एक नई राह पर हैं। अपनी नयी फिल्म भागवत- चैप्टर वन राक्षस में वह एक ईमानदार पुलिस अफसर की भूमिका में दिखेंगे-अरशद वारसी, इस फिल्म पर बात करते हुए अरशद वारसी साफ कहते हैं, ‘मुझे थ्रिलर फिल्में बहुत पसंद हैं। यकीन मानिए, ये स्क्रिप्ट मुझे सच में बहुत पसंद आयी। आमतौर पर फिल्मों में एक अच्छा आदमी होता है और एक बुरा, फिर आखिर में वो बुरा पकड़ा जाता है और कहानी खत्म। लेकिन असल जिन्दगी में कहानी यहीं खत्म नहीं होती। असली लड़ाई तो उसके बाद शुरू होती है, जब केस चलता है, सबूत जुटाने पड़ते हैं और सच्चाई साबित करनी होती है। इस फिल्म में मुझे ये बात बहुत दिलचस्प लगी कि मेरा किरदार एक ऐसे अपराधी के पीछे है जो इतना चालाक है कि कोई सुराग नहीं छोड़ता। उसे पकड़ना लगभग नामुमकिन है। जब मैंने कहानी सुनी, तो मुझे लगा कि यह फिल्म वाकई कुछ अलग है।Óअरशद मानते हैं कि एक अच्छी फिल्म की आधी जीत उसकी कास्टिंग में होती है। वो कहते हैं, मेरे लिये अच्छी कास्टिंग आधा युद्ध जीतने के बराबर है। अगर सही अभिनेता को सही किरदार मिल जाये, तो फिल्म अपने आप बेहतर हो जाती है। इस फिल्म में जीतेंद्र (पंचायत फेम एक्टर) ने कमाल का काम किया है। इससे बेहतर कोई इसे नहीं निभा सकता था। सच कहूं तो मैं इस मौके के लिये बहुत आभारी हूं। किरदार पर बात करते हुए अरशद ने कहा, ‘कॉमेडी करने वाले अभिनेताओं के साथ यह दिक्कत यह होती है कि जब वो गंभीर किरदार करते हैं, तो लोग उन्हें मजाक में लेते हैं। दर्शकों को गंभीर किरदारों में कॉमेडियन छवि वाला अभिनेता हजम नहीं होता। कई कलाकारों के साथ ऐसा हुआ है, लेकिन खुशकिस्मती से मैंने यह दीवार तोड़ दी। शुरुआत में मैं भी थोड़ा डरा हुआ था कि लोग मुझे स्वीकार करेंगे या नहीं, पर शहर फिल्म के बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया। अब मैं किसी भी तरह के रोल को लेकर सहज हूं।Ó अपने 27 साल के अनुभव पर अरशद बेबाकी से कहते हैं, इतने वर्षों में मैंने ये सीखा है कि आप कितना भी अच्छा काम कर लो, अगर फिल्म नहीं चलती तो कोई नहीं पूछता। लेकिन अगर फिल्म चल जाये, चाहे एक्टिंग औसत ही क्यों न हो, तो सब कुछ बदल जाता है। जॉली एलएलबीÓ की सफलता पर वो मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘काफी वर्षों से इस इंडस्ट्री में हूं तो अब इन चीजों का मुझ पर असर नहीं होता। अब सफलता-असफलता से खासा फर्क नहीं पड़ता। इंडस्ट्री को भी पता है कि मैं कहीं जाने वाला नहीं हूं। आज नहीं तो कल एक हिट दे ही दूंगा।Ó
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