जल-जीवन-हरियाली’ के लिए पिछले साल बनी थी शृंखला
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में ‘जल-जीवन-हरियाली’ के लिए बनी 18,034 किलोमीटर लम्बी मानव शृंखला ‘इंडिया बुक ऑफ रेकार्ड्स’ में दर्ज हुई है। यह मानव शृंखला 19 जनवरी, 2020 को बनी थी। इसमें पांच करोड़ 16 लाख 71 हजार 389 लोग एक-दूसरे का हाथ थामे आधे घंटे तक शृंखलाबद्ध रहे।
यह ‘इंडिया बुक ऑफ रेकार्ड्स’ 2021’ में सबसे लम्बी मानव शृंखला के रूप में दर्ज हुई है। इसकी प्रति शिक्षा विभाग के गुरुवार को मिली है। इसमें पृष्ठï संख्या 149 पर इसे ‘सबसे लम्बी और अभूतपूर्व’ रेकर्ड के रूप में जगह मिली है। साथ में मानव शृंखला की तीन तस्वीर भी दी गयी है। इसमें एक तस्वीर किशनगंज की है, जबकि एक नवादा की।
19 जनवरी, 2020 को ‘जल-जीवन-हरियाली’ के लिए बनी मानव शृंखला की लम्बाई को जांचने के लिए ‘इंडिया बुक ऑफ रेकार्ड्स’ के प्रतिनिधि आये थे। मानव शृंखला की लम्बाई और उसमें शामिल लोगों की संख्या के आकलन के बाद प्रतिनिधि आश्वस्त हुए थे। ‘इंडिया बुक ऑफ रेकर्ड्स’ 2021’ में मानव शृंखला को ‘कलेक्शन ऑफ रेकार्ड्स’ शीर्षक के तहत स्थान दिया गया है। ‘इंडिया बुक ऑफ रेकार्ड्स’ डायमंड बुक्स का प्रकाशन है। इसके एडीटर-इन-चीफ विश्वरूप राय चौधरी हैं।
आपको बता दूं कि बिहार ने वर्ष 2017 में 21 जनवरी को नशाबंदी के पक्ष में 12147 किलोमीटर लम्बी मानव शृंखला बनायी थी। वह दुनिया की सबसे लम्बी मानव शृंखला थी। उस साल उसका आकलन करने लिम्का बुक ऑफ रेकार्ड्स के प्रतिनिधि आये थे। वर्ष 2017 में बनी वह मानव शृंखला लिम्का बुक ऑफ रेकार्ड्स में दर्ज है। वर्ष 2017 का अपना ही वह रिकार्ड बिहार ने वर्ष 2018 में 21 जनवरी को बाल-विवाह एवं दहेज उन्मूलन के लिए 14080 किलोमीटर लम्बी मानव शृंखला बना कर तोड़ा, जो लिम्का बुक ऑफ रेकार्ड्स में दर्ज हुई। उसके बाद चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष में बिहार में चला अभियान दुनिया के सबसे बड़े कैम्पेन के रूप में लिम्का बुक ऑफ रेकार्ड्स में जगह मिली।
19 जनवरी, 2020 को ‘जल-जीवन-हरियाली’ के लिए बनी मानव शृंखला की लम्बाई और उसमें शामिल लोगों की संख्या के आकलन के लिए भी लिम्का बुक ऑफ रेकार्ड्स के प्रतिनिधि आये थे। इसके मद्देनजर यह तय माना जा रहा है कि ‘इंडिया बुक ऑफ रेकार्ड्स’ में जगह बना चुकी मानव शृंखला लिम्का बुक ऑफ रेकार्ड्स में दर्ज होगी।