- मध्य-पूर्व के इस्लामिक देश इसराइल के ख़िलाफ़ और फ़लस्तीनियों के समर्थन में एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनके आपसी विवाद ही नहीं थमते दिख रहे हैं.
सोमवार को लेबनान के विदेश मंत्री के बयान पर सऊदी अरब समेत खाड़ी के बाक़ी पाँच देशों ने कड़ी आपत्ति ज़ाहिर की है. लेबनान इसराइल और फ़लस्तीनियों के टकराव में फ़लस्तीनियों का साथ दे रहा है लेकिन फ़लस्तीन के समर्थन में बयान देने वाले देश भी आपस में ही उलझते दिख रहे हैं.
इससे पहले 16 मई को इसराइल को लेकर इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी की बैठक हुई थी और इसमें भी बहरीन, यूएई निशाने पर आ गए थे.
तुर्की और फ़लस्तीनी प्रतिनिधि ने यूएई और बहरीन को इसराइल से रिश्ते सामान्य करने के लिए आलोचना की थी. तुर्की और पाकिस्तान इसराइल को लेकर सबसे ज़्यादा आक्रामक हैं लेकिन सऊदी और यूएई के बहुत संतुलित बयान आ रहे हैं.
लेबनान के विदेश मंत्री चर्बेल वहबे ने सोमवार को एक टीवी इंटरव्यू में सऊदी अरब को लेकर जो कुछ कहा है, उसे लेकर भारी विवाद और तनाव पैदा हो गया है.
इस मामले में लेबनान के राष्ट्रपति माइकल इयोन को सफ़ाई देनी पड़ी है और उन्होंने कहा कि खाड़ी के देशों के बारे में उनके विदेश मंत्री का बयान लेबनान की आधिकारिक नीति नहीं है.
लेबनान को खाड़ी के देशों से मदद मिलती है लेकिन विदेश मंत्री के विस्फोटक बयान के कारण रिश्ते पटरी से उतरते दिख रहे हैं.
विदेश मंत्री चर्बेल ने अल हुर्रा टीवी से इराक़ और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के उभार के लिए खाड़ी के देशों को ज़िम्मेदार ठहराया था. चर्बेल ने कहा था, ”जो देश दोस्ती और भाईचारा चाहते हैं, उन्होंने ही यहां इस्लामिक स्टेट को लाया.