नई दिल्ली। वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया से बदसलूकी मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को अदालत में सीसीटीवी कैमरे न रखने पर नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एक रिपोर्ट पर संज्ञान लिया जिसमें कहा गया था कि कोर्ट परिसर में सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे हैं।
21 मार्च को क्या हुआ था?
दरअसल, भाजपा प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया 21 मार्च को ग्रेटर नोएडा की एक अदालत में एक केस की पैरवी के लिए पहुंचे थे। इस दौरान उनके साथ अधिवक्ता मुस्कान गुप्ता भी साथ थी। जैसे ही वे कोर्ट पहुंचे वहां मौजूद स्थानीय वकील ने उन पर हमला कर दिया। यहां वकीलों ने भाटिया का बैंड भी छीन लिया। बता दें कि एक जिला अदालत के अंदर वकील हड़ताल कर रहे थे और उसी दौरा गौरव भाटिया और मुस्कान गुप्ता वहां पहुंचे थे। इसी दौरान वकीलों ने उनके साथ बदसलूकी की थी।
कोर्ट परिसर के कैमरे खराब क्यों?
सोमवार को हुई सनुवाई के दौरान पीठ ने इस पर संज्ञान लिया और कहा कि सीसीटीवी कैमरे को ठीक कराने के लिए बार-बार पत्र लिखा गया उसके बावजूद उन्हें सुधारा नहीं गया। शीर्ष अदालत ने गौरव भाटिया बदसलूकी मामले में जिला अदालत प्रशासन को सीसीटीवी कैमरे सुरक्षित करने का आदेश दिया था। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि सीसीटीवी फुटैज नहीं दे सकते क्योंकि वह खराब हो गए है। अदालत ने जोर देकर कहा कि वह इस मामले को हल्के में नहीं लेंगे।
हल्के में नहीं लेंगे इसे
सीजेआई ने कहा कि हम इस मामले को हल्के में नहीं लेंगे। कोई भी वकील किसी अन्य को अदालत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने कहा कि बार एसोसिएशन का एक नेता भी वकीलों को हड़ताल करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि हालांकि, वकीलों को हड़ताल के अवलोकन के लिए अदालत से अनुरोध करने का अधिकार है। शीर्ष अदालत ने इसके बाद गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया।