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ईडी की नजर अब तृणमूल सरकार के कार्यकाल में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए हुईं परीक्षाओं पर


कोलकाता। शिक्षक नियुक्ति घोटाले में बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार करने के बाद ईडी की नजर अब तृणमूल सरकार के कार्यकाल में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए हुईं परीक्षाओं पर हैं। तृणमूल के 2011 में बंगाल की सत्ता पर काबिज होने के बाद प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अब तक तीन बार परीक्षाएं हुई हैं। ईडी का अनुमान है कि इन परीक्षाओं के बाद हुईं नियुक्तियों की एवज में करोड़ों रुपये लिए गए हैं। 2012 में पहली परीक्षा हुई थी और उसी साल नियुक्तियां हुई थीं। उसके बाद 2014 को होने वाली परीक्षा 2015 व 2017 की परीक्षा 2021 में हुई थीं।

2021 की परीक्षा की नियुक्तियां अभी नहीं हुई हैं लेकिन नियुक्ति के लिए जो तालिका तैयार की गई है, उसके लिए उम्मीदवारों से मोटी रकम लिए जाने का अनुमान है। 2015 में हुई परीक्षा की नियुक्तियों में अनियमितता के आरोप हैं। इसे लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में मामले भी चल रहे हैं लेकिन ईडी का मानना है कि रुपये का खेल 2012 की परीक्षा से ही शुरू हो गया था।

2012 व 2015 में करीब 90 प्रïतिशत नियुक्तियां रुपये लेकर किए जाने का अनुमान है। नौकरी के लिए 20 से 25 लाख रुपये लिए गए हैं। कुछ राशि अग्रिम के तौर पर ली जाती थी और नियुक्त होने वाले उम्मीदवारों की तालिका में नाम शामिल होने पर बाकी रकम ली जाती थी। इस काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा पार्थ को मिलता था। बाकी कुछ प्रभावशाली लोगों में बंटता था। इसमें कुछ विधायक, पार्षद, पंचायतों के अधिकारी और शिक्षा विभाग का एक तबका शामिल है।

ईडी के एक अधिकारी के मुताबिक पार्थ की करीबी अर्पिता मुखर्जी के फ्लैटों से मिली नकदी, जेवर व संपत्ति के कागजात, ये सब मिलाकर 150 करोड़ के आसपास हैं, हालांकि यह काली कमाई का महज एक छोटा सा हिस्सा है।