2021 की परीक्षा की नियुक्तियां अभी नहीं हुई हैं लेकिन नियुक्ति के लिए जो तालिका तैयार की गई है, उसके लिए उम्मीदवारों से मोटी रकम लिए जाने का अनुमान है। 2015 में हुई परीक्षा की नियुक्तियों में अनियमितता के आरोप हैं। इसे लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में मामले भी चल रहे हैं लेकिन ईडी का मानना है कि रुपये का खेल 2012 की परीक्षा से ही शुरू हो गया था।
2012 व 2015 में करीब 90 प्रïतिशत नियुक्तियां रुपये लेकर किए जाने का अनुमान है। नौकरी के लिए 20 से 25 लाख रुपये लिए गए हैं। कुछ राशि अग्रिम के तौर पर ली जाती थी और नियुक्त होने वाले उम्मीदवारों की तालिका में नाम शामिल होने पर बाकी रकम ली जाती थी। इस काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा पार्थ को मिलता था। बाकी कुछ प्रभावशाली लोगों में बंटता था। इसमें कुछ विधायक, पार्षद, पंचायतों के अधिकारी और शिक्षा विभाग का एक तबका शामिल है।
ईडी के एक अधिकारी के मुताबिक पार्थ की करीबी अर्पिता मुखर्जी के फ्लैटों से मिली नकदी, जेवर व संपत्ति के कागजात, ये सब मिलाकर 150 करोड़ के आसपास हैं, हालांकि यह काली कमाई का महज एक छोटा सा हिस्सा है।