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उर्दू के मशहूर उपन्यासकार मुशर्रफ आलम ज़ौकी का निधन


नई दिल्ली, । उर्दू के प्रसिद्ध उपन्यासकार, फिक्शन लेखक, आलोचक और कलमकार मुशर्रफ आलम ज़ौकी का दिल का दौरा पड़ने से इंतेकाल हो गया। मुशर्रफ आलम ज़ौकी कोरोना वायरस से संक्रमित थे। दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। परिवार में पत्नी और एक बेटा है। वह तकरीबन 58 साल के थे।

मुशर्रफ आलम जौकी का शुमार उर्दू के प्रतिष्ठित समकालीन उपन्यासकारों में होता था। अपनी अनूठी लेखन शैली की वजह से न केवल भारत में बल्कि विदेशों विशेषकार सरहद पार पाकिस्तान के उर्दू हल्के में भी अपनी एक अलग पहचान रखते थे। मुशर्रफ आलम ज़ौकी का जन्म 24 नवंबर, 1963 को बिहार के आरा जिले में हुआ। उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से एमए किया। कलम के साथ उनका हमेशा रिश्ता रहा। उन्होंने दिल्ली में ‘सच बिलकुल सच’ में भी काम किया और अंत में राष्ट्रीय सहारा उर्दू के समूह संपादक भी रहे।

उनकी तीन दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके 14 उपन्यास और अफसानों के आठ संग्रह प्रकाशित हुए। हाल के दिनों में, उनके उपन्यास ‘मर्ग अंबोह’ और ‘मुर्दाखाने में औरत’ बहुत लोकप्रिय हुए हैं और विश्व स्तर पर स्वीकृति मिली। उनके उपन्यासों में शहर चुप है, बयान, मुसलमान, ले सांस भी आहिस्ता, आतिशे-रफ्ता का चिराग, प्रोफेसर एस की अजीब दास्तान और नाल-ए-शबगीर भी हैं। उन्होंने समकालीन लेखकों के रेखाचित्र भी लिखे। उन्होंने उर्दू की अन्य विधाओं पर भी पुस्तकें लिखीं। उनका पहला उपन्यास 1992 में ‘नीलाम घर’ प्रकाशित हुआ था। उनके निधन से उर्दू जगत में एक बड़ी रिक्त पैदा हुई है। इस महान उपन्यासकार और कलमकार को खो देने से उर्दू जगत में शोक की लहर है।