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कपिल सिब्बल के बयान पर बवाल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया बार एसोसिएशन ने बताया अवमाननापूर्ण


नई दिल्‍ली, । वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता और राज्‍यसभा सांसद कपिल सिब्बल के उस बयान पर कि उन्‍हें सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्‍मीद नहीं है, विवाद बढ़ गया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) और ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (All India Bar Association) ने सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका के खिलाफ कपिल सिब्बल (Senior Advocate Kapil Sibal) के बयान को लेकर गहरी नाराजगी जताई है।

समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कपिल सिब्बल ने इस तरह की टिप्पणी की है। कपिल सिब्बल कानूनी क्षेत्र के दिग्गज हैं और देश के पूर्व कानून मंत्री भी हैं। दो तीन महत्वपूर्ण मामलों में हार का मतलब यह नहीं कि न्यायपालिका को निशाना बनाया जाए। न्यायपालिका एक स्वतंत्र संस्था है। इस पर हमला नहीं किया जाना चाहिए।

मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि यदि आप कमजोर मामलों में पैरवी कर रहे हैं और बाद में अदालत में हार जाते हैं, तो आप न्यायाधीशों और न्यायपालिका को दोष नहीं दे सकते। इस बीच, ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (एआईबीए) ने एक बयान जारी कर पूर्व केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री कपिल सिब्बल के बयान को अवमाननापूर्ण करार दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता और एआईबीए के अध्यक्ष डॉ. आदिश सी. अग्रवाल ने कहा कि अदालतें पेश किए गए तथ्यों पर कानून सम्‍मत फैसला करती हैं।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आपराधिक मामले और आरोप जो तत्कालीन सरकारों द्वारा राजनीतिक विद्वेष के तहत लगाए गए थे, सबूत को प्रस्‍तुत करने में विफल रहे। ऐसे मामलों को दरकिनार किया जाना चाहिए था। यदि अदालतों की ओर से ऐसा किया गया है, तो न्यायिक प्रणाली पर कोई दोष नहीं मढ़ा जा सकता है। अदालतें केवल एक निश्चित समुदाय की भावनाओं को शांत करने के लिए फैसला नहीं सुनाती हैं।

वहीं केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि कपिल सिब्बल और कांग्रेस नेताओं का बयान उनकी मानसिकता के अनुरूप है। कांग्रेस पार्टी और उनके जैसी विचारधारा वालों के लिए, अदालतों और किसी भी अन्य संवैधानिक प्राधिकरण को उनका पक्ष लेना चाहिए अन्यथा वे संस्थागत प्राधिकरण पर हमला करना शुरू कर देते हैं।