News TOP STORIES नयी दिल्ली बिजनेस राष्ट्रीय

कब तक कम होंगी पेट्रोल-डीजल की कीमतें? पेट्रोलियम मंत्री ने दी ये अहम जानकारी


नई दिल्ली, : पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को डीजल पर चार रुपये प्रति लीटर का शुद्ध नुकसान हो रहा है जबकि पेट्रोल पर उनका मार्जिन बढ़ गया है। कीमतों में कमी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आयल मार्केटिंग कंपनियों को अभी भी डीजल पर नुकसान हो रहा है।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि उनका मंत्रालय तीनों ईंधन खुदरा विक्रेताओं इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) के लिए यूक्रेन युद्ध के बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमतों को बाजार में यथावत बनाए रखने में हुए नुकसान के लिए सरकार से सहायता मांगेगा।

jagran

डीजल पर हो रहा नुकसान

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें एक दशक से भी अधिक समय के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने के बावजूद तेल कंपनियों ने घरेलू कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। डीजल जिस दर पर बेचा जा रहा है, उससे तेल कंपनियों की लागत नहीं निकल पा रही है। कच्चे तेल की खरीद और इसे डीजल फ्यूल में बदलने की वास्तविक लागत के आधार पर नुकसान लगभग 3-4 रुपये प्रति लीटर है।

कितना हुआ तेल कंपनियों को घाटा

पुरी ने कहा कि तेल कंपनियों ने उपभोक्ताओं की मदद के लिए अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान भी कीमतों में नरमी बरती। तीनों ईंधन खुदरा विक्रेताओं को अप्रैल-जून तिमाही में 19,000 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध घाटा हुआ और अगली तिमाही में भी उनको नुकसान की आशंका है।

सरकार ने जारी किया है अनुदान

सरकार ने पिछले महीने सरकारी तेल कंपनियों को जून 2020 से घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) बेचने पर हुए नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त अनुदान के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए। एलपीजी घाटे के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय ने 28,000 करोड़ रुपये मांगे थे, लेकिन 22,000 करोड़ रुपये मिले।

jagran

कीमत में कमी की कितनी संभावना

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में नरमी ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की उम्मीद बढ़ा दी थी। भारत द्वारा आयात किए जाने वाला क्रूड आयल बास्केट जून में बढ़कर 116 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल हो गया था, लेकिन इस महीने यह घटकर 92.25 अमेरिकी डॉलर पर है। यदि कीमतों में कमी होती है तो 22 मई के बाद यह पहली कटौती होगी। उस समय सरकार ने ग्राहकों को बढ़ती कीमतों से बचाने और मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी।