नई दिल्ली। कांग्रेस को मौजूदा राजनीतिक संकट के दौर से उबारने का रास्ता तलाशने के लिए प्रस्तावित चिंतन शिविर की तारीख को लेकर सस्पेंस अभी भी कायम है। चिंतन बैठक बुलाए जाने को लेकर पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच चर्चा का दौर भी पूरा हो गया है मगर इसके बावजूद तारीखों के एलान को लेकर अंदरूनी दुविधा जारी है। कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरियों के बीच संगठन में बड़े बदलाव की आवाज उठा रहे पार्टी के असंतुष्ट खेमे के नेता भी चिंतन बैठक के कार्यक्रम के ऐलान में हो रही देरी को लेकर बेचैनी शुरू हो गई है।
सद के बजट सत्र के तत्काल बाद होना था चिंतन बैठक
उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में उठे असंतोष के गंभीर स्वर को थामने के लिए पार्टी कार्यसमिति की बीते 14 मार्च को हुई समीक्षा बैठक में चिंतन शिविर बुलाने का फैसला हुआ था। पार्टी ने तभी ऐलान भी किया था कि संसद का बजट सत्र खत्म होने के तत्काल बाद चिंतन शिविर का आयोजन किया जाएगा। लेकिन संसद सत्र खत्म होने के हफ्ता बीत जाने के बाद अभी तक पार्टी चिंतन बैठक की तारीख तय नहीं कर पायी है और ऐसे में इसकी संभावना कम ही है कि यह बैठक अप्रैल में हो पाएगी।
अपने सबसे गहरे संकट के दौर में है कांग्रेस पार्टी
कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के समूह जी 23 के एक सक्रिय सदस्य ने चिंतन बैठक की तारीख का अब तक ऐलान नहीं होने पर अपनी बेचैनी और झल्लाहट जाहिर करते हुए कहा कि अपने संकट का समाधान तलाशने की अपरिहार्य जरूरत को रूटीन मसले की तरह लेना यह दर्शाता है कि पार्टी संगठन का मौजूदा ढांचा कितना लचर और दिशाहीन हो चुका है। पार्टी अपने सबसे गहरे संकट के दौर में है, जहां त्वरित फैसले करते हुए लक्ष्य निर्धारित कर चुनौतियों का समाधान निकालना समय की मांग है, लेकिन पार्टी की रीति-नीति चलाने वाले अभी भी पुराने ढर्रे पर चलने से बाज नहीं आ रहे।