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पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक या राजनीतिक रिश्तों को बेहतर करने के लिए सुझाव देने के लिए समूह का गठन


नई दिल्ली। जब कई पड़ोसी देशों मे आर्थिक व राजनीतिक संकट गहरा रहा है तब भारत ने एक ऐसे अंतर-मंत्रालयी समूह का गठन किया है जिसकी सिफारिशों और सुझावों के आधार पर मोदी सरकार की पड़ोसी पहले (नेबर फ‌र्स्ट) की नीति को नया आयाम दिया जाएगा। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की अध्यक्षता में गठित इस समूह की पहली बैठक मंगलवार को हुई, जिसमें नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, म्यांमार में भारत की मदद से चलाई जाने वाली परियोजनाओं पर विमर्श किया गया। इस बैठक में पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों के तमाम पहलुओं पर भी चर्चा हुई है।

अंतर-मंत्रालयी समूह में शामिल मंत्रालयो व विभागों को पड़ोसी देशों को तरजीह देने की सलाह

यह समूह आने वाले दिनों में पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को दिशा देने में शीर्ष स्तर पर सुझाव देने का काम भी करेगा और केंद्र व राज्यों के विभिन्न एजेंसियों के बीच किस तरह से बेहतर सामंजस्य बनाया जाए, ताकि पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को लेकर भारत अपने रणनीतिक हितों के मुताबिक आगे बढ़ सके। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि समन्वयन समिति की पहली बैठक में नेपाल व दूसरे पड़ोसी देशों के साथ सीमा पार कारोबार को बढ़ावा देने के लिए ढांचागत परियोजनाओं के विकास से जुड़े मुद्दे पर विमर्श किया गया।

नेपाल और मालदीव जैसे देशों की विशेष जरूरतों को देखते हुए किस तरह से आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति की जाए इस बारे में भी विमर्श हुआ। बांग्लादेश को लेकर वहां भारत की मदद से तैयार किए जा रहे रेलवे नेटवर्क पर चर्चा हुई। भारत अभी बांग्लादेश के साथ रेल नेटवर्क पर काफी काम कर रहा है। अफगानिस्तान व म्यांमार को मानवीय आधार पर मदद देने का मुद्दा भी उठा। अफगानिस्तान को पहले ही भारत 50 हजार टन गेहूं की आपूर्ति कर रहा है। आगे आपूर्ति और बढ़ाई जा सकती है। श्रीलंका के साथ भारतीय मछुआरों की स्थिति पर भी इस बैठक में चर्चा हुई।