वाराणसी, । श्रीकाशी विश्वनाथ का सज-संवर रहा धाम एक बार फिर आनंद-कानन की अनुभूति कराएगा। बाबा दरबार से गंगधार तक 5,27,730 वर्गफीट में बनाए जा रहे कारिडोर में उन्हें प्रिय पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। इनमें बेल व रुद्राक्ष के पेड़ तो होंगे ही अशोक, नीम व कदंब की भी छाया मिलेगी। चुनार के लाल पत्थरों की दीवारों के बीच हरियाली निखरेगी तो परिसर हरसिंगार के श्वेत-धवल फूलों की भीनी-भीनी सुवास से महमह हो जाएगा। गमलों में बेला, कनेर व मदार-धतूरा के पौधे भी लगाए जाएंगे।
इसके लिए कारिडोर निर्माण के दौरान ही पेड़-पौधे लगाने की व्यवस्था कर ली गई है। मुख्य परिसर से लेकर मंदिर चौक और गंगा छोर तक पथरीली जमीन में चार फीट व्यास के गड्ढे बनाए गए हैैं। ये सीधे मिट्टïी के संपर्क में होंगे, इनमें पाइप लगा कर भीतर-भीतर ही हवा-पानी का इंतजाम किया गया है। स्थान अनुसार इन गड्ढों में छह से 15 फीट तक के पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। इनकी संख्या लगभग 70 होगी। इसकी जिम्मेदारी कारिडोर का निर्माण कर रही कंपनी को दी गई है। पौधे 13 दिसंबर को लोकार्पण से ठीक पहले लगा दिए जाएंगे।
बेल : भगवान शिव को बेल पत्र प्रिय है। शास्त्रीय मान्यता है कि महादेव लोटा भर जल व बेल पत्र से प्रसन्न हो जाते हैैं।
रुद्राक्ष व अशोक: मान्यता है कि रुद्राक्ष व अशोक की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से है। रुद्राक्ष को शिव प्रसाद माना जाता है। अशोक शोक-चिंता को हरने वाला है।