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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद पर 30 सितंबर को कोर्ट में सुनवाई,


वाराणसी। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में स्व.पं.सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक की ओर से दाखिल वाद को जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने की अपील संबंधित मामले में काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से अधिवक्ता रवि पांडेय अदालत में उपस्थित हुए। अधिवक्ता रवि पांडेय ने आपत्ति दाखिल करने के लिए अदालत से समय मांगा।

जिला जज ने एक दिन का अवसर देते हुए सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तिथि नियत कर दी। गत 27 सितंबर को जिला जज ने पक्षकार काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किया था। इस बीच, ज्ञानवापी परिसर में एएसआई का सर्वे जारी रहेगा। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने मस्जिद पक्ष की सर्वे रोकने की मांग के प्रार्थना पत्र को गुरुवार को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही सर्वे के दौरान मिलने वाले साक्ष्यों को संरक्षित करने के श्रृंगार गौरी मुकदमे की चार वादिनी की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र को निस्तारित करते हुए इस मामले में पूर्व दिए गए आदेश को ही लागू करने का आदेश दिया है।

मस्जिद पक्ष के प्रार्थना पत्र को निरस्त करते हुए अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सर्वे रोकने की मांग का प्रार्थना पत्र पोषणीय प्रतीत नहीं होता है। उल्लेखनीय है कि इस अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया था। इससे खिलाफ प्रतिवादी (मस्जिद पक्ष) हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट गया था और शुल्क न जमा करने समेत अन्य बात भी रखी थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसलिए सर्वे की कार्रवाई रोकना न्यायसंगत नहीं है। सर्वे से संबंधित आदेश उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय का है इसलिए सत्र न्यायालय के लिए बाध्यकारी है जिसमें कोई परिवर्तन किया जाना संभव नहीं है।

मस्जिद पक्ष ने कही थी शुल्क नहीं जमा करने की बात

ज्ञानवापी परिसर में चल रहे सर्वे को रोकने के लिए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद (मस्जिद पक्ष) की ओर से बीते नौ अगस्त को जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया था। इसमें बताया गया था कि सर्वे के लिए मंदिर पक्ष की ओर से कोई शुल्क नहीं जमा किया गया है। जबकि नियम के मुताबिक उन्हें कमीशन की कार्यवाही शुरू होने के पहले उसमें होने वाले खर्च को जमा किया जाना चाहिए। सर्वे के लिए एएसआई को कोई रिट जारी नहीं की गई। इसके साथ ही उन्हें सर्वे की कार्यवाही के संबंध में कोई जानकारी लिखित रूप में नहीं दी गई थी। न्यायालय द्वारा आदेश के अनुपालन के संबंध में भी उन्हें अवगत नहीं कराया गया था। इसलिए सर्वे की कार्यवाही नियम के खिलाफ है और उसे रोकने के लिए आदेश देने की प्रार्थना किया था।

पूर्व का आदेश ही होगा लागू

ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे में मिले साक्ष्यों को सुरक्षित रखने के प्रार्थना पत्र को जिला जज की अदालत ने निस्तारित किया। श्रृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी, रीता साहू की ओर से उनके वकील हरिशंकर जैन व सुधीर त्रिपाठी, सुभाषनंद चतुर्वेदी, दीपक सिंह ने प्रार्थना पत्र दाखिल करके यह मांग की थी। जिला जज ने अपने आदेश में कहा कि वादिनी राखी सिंह की ओर से दाखिल इससे संबंधित प्रार्थना पत्र पर पूर्व में आदेश दिया जा चुका है। ऐसे में पुनः आदेश देने का कोई औचित्य नहीं है।

अदालत ने पूर्व में दिया यह आदेश

जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने 13 सितंबर को जारी आदेश में कहा था कि ज्ञानवापी परिसर में एएसआई की ओर से वैज्ञानिक पद्धति से सर्वे कराया जा रहा है। एएसआई को आदेश दिया था कि सर्वे में जो भी सामग्री प्राप्त हों और इस वाद के तथ्यों से संबंधित हों या हिंदू धर्म व पूजा पद्धति से संबंधित हों, ऐतिहासिक या पुरातत्व दृष्टिकोण से मुकदमे के निस्तारण के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं उन्हें जिला मजिस्ट्रेट या उनके द्वारा नामित किसी अधिकारी की सुपुर्दगी में दिया जाए। जो उन वस्तुओं को सुरक्षित रखेंगे। जब भी उन्हें न्यायालय तलब करेगी उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत करेंगे। सर्वे के दौरान मिलने वाली सामग्रियों की एक सूची बनाकर एक प्रति न्यायालय में दाखिल की जाए और एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट को सौंपी जाए।

वजुखाने की सर्वे की मांग पर सुनवाई पांच अक्टूबर को

ज्ञानवापी परिसर स्थित शिवलिंग छोड़कर पूरे वजुखाने की एएसआई सर्वे की मांग के प्रार्थना पत्र पर मस्जिद पक्ष ने आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा। अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए पांच अक्टूबर की तिथि तय की है। श्रृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी राखी सिंह की ओर से उनके वकील सौरभ तिवारी, अनुपम द्विवेदी, मान बहादुर ने यह प्रार्थना पत्र 29 अगस्त को दाखिल किया गया था। इस मामले में सभी पक्षकारों को प्रार्थना पत्र की प्रति अदालत के आदेश पर कार्यवाही के दौरान उपलब्ध कराई गई।