नई दिल्ली, । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश को संबोधन में एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने एक बड़ा कदम उठाते हुए पिछले काफी समय से जारी विरोध प्रदर्शन को खत्म करने की अपील करते हुए आज तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की। राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, पीएम मोदी ने कहा, ‘आज मैं सभी को बताना चाहता हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को रद करने का फैसला किया है।’
-देश के छोटे किसानों की चुनौतियों से पार पाने के लिए हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत पर चौतरफा काम किया।
-अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों के साथ-साथ सरकार ने किसानों को नीम कोटेड यूरिया, सायल हेल्थ कार्ड, माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा। किसानों को उनकी मेहनत के बदले में उनकी उपज का सही दाम दिलाने के लिए भी कई कदम उठाए गए।
-हमने किसानों को उचित दर पर बीज उपलब्ध कराने और सूक्ष्म सिंचाई, 22 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी सुविधाएं देने का काम किया। ऐसे कारकों ने कृषि उत्पादन में वृद्धि में योगदान दिया है। हमने फसल बीमा योजना को मजबूत किया, अधिक किसानों को इसके तहत लाया गया।
-केंद्र सरकार द्वारा की गई खरीद ने पिछले कई दशकों का रिकार्ड तोड़ दिया है।
-हमारी सरकार किसानों, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। हम उनकी पूरी सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
-किसानों को नहीं समझा पाए। उनमें से केवल एक वर्ग कानूनों का विरोध कर रहा था, लेकिन हम उन्हें शिक्षित करने, सूचित करने का प्रयास करते रहे। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।
हमने किसानों को समझाने की पूरी कोशिश की। हम कानूनों को संशोधित करने, उन्हें निलंबित करने के लिए भी तैयार थे। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा।
-हम अपने किसानों को समझाने में सक्षम नहीं बने। यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमने कृषि कानूनों को वापस ले लिया है। हम कृषि कानूनों को निरस्त कर रहे हैं।
-सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्राप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए।
-एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे।