उन्होंने सवाल किया कि रमेश मोरे को मारने की सुपारी किसने दी थी? लंबे समय तक शिवसेना में रहे नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे से पटरी न खाने के कारण ही 2004 में शिवसेना छोड़ दी थी। उसके बाद से ही नारायण राणे हमेशा ठाकरे परिवार से लोहा लेते रहे हैं। आज शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित उद्धव ठाकरे के साक्षात्कार पर टिप्पणी करते हुए राणे ने कहा कि सत्ता से हटने के बाद उन्हें हिंदुत्व और मराठी मानुष की याद आ रही है। मुख्यमंत्री पद जाने के बाद उनकी वाणी में कातरता नजर आ रही है। इस व्यक्ति को मैं 40 साल से जानता हूं। खोट और कपट उनके मन में व्याप्त है।
बता दें कि उद्धव ठाकरे ने अपने साक्षात्कार में कहा है कि हिम्मत है तो अपने माता-पिता के फोटो का उपयोग करके वोट मांगो। शिवसेना के पिता (बालासाहब ठाकरे) का फोटो क्यों उपयोग करते हो ? राणे ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि विरासत खून से नहीं, विचारों से मिलती है। शिवसेना में रहते हुए हमने अपने माता-पिता की नहीं सुनी, लेकिन बालासाहब ठाकरे की सुनते रहे।
राणे ने उद्धव से सवाल किया कि आपने सत्ता में रहते हुए ढाई वर्ष तक क्या किया ? उस समय आपको मराठी मानुष और हिंदुत्व की याद क्यों नहीं आई? ढाई वर्ष तक आपने जनता के लिए कुछ नहीं किया। राणे ने उद्धव का साक्षात्कार लेनेवाले सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत पर भी बरसते हुए कहा कि उद्धव को भड़काने का काम संजय राउत करते हैं। राउत की भी खिल्ली उड़ाते हुए राणे ने कहा कि राउत खुश है कि उसने अपने गुरु शरद पवार का काम कर दिया।