नई दिल्ली। Monsoon In India। देशभर के ज्यादातर राज्यों में मानसून की बारिश हो रही है। हालांकि, कई राज्यों मानसून की बारिश आफत बनकर बरस रही है। केरल के वायनाड में भारी बारिश के कारण मंगलवार तड़के बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन में सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
वहीं, गुरुवार सुबह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मंडी और शिमला में तीन जगहों पर बादल फटा है, जिसमें 50 लोग लापता हो गए हैं। दो लोगों की मौत भी हो गई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गई है। राहत बचाव कार्य बहुत तेजी से चल रही है।
खतरे के निशान से ऊपर बह रही कावेरी नदी
वहीं, कावेरी और कपिला नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। केले मैसूर जिले में आठ गांवों के 134 परिवार बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा, राजस्थान के जयपुर के ध्वजनगर में दो घरों में पानी घुसने से एक बच्चे समेत 3 लोग बेसमेंट में फंस गए।
जम्मू-कश्मीर में सामान्य से कम बारिश
देश में 1 जून से 30 जुलाई तक 12 राज्यों में सामान्य बारिश हुई है। वहीं, आठ राज्यों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। देश के सात राज्य ऐसे है, जहां सामान्य से अधिक बारिश हुई है। केंद्र शासित क्षेत्रों की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में सामान्य से कम बारिश हुई है। वहीं, लद्दाख में सामान्य से अधिक बारिश हुई है। इसके अलावा, लक्षदीप और अंडमान निकोबार में सामान्य बारिश दर्ज की गई है।
रत से जुलाई महीने में औसत से 9 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। मौसम विभाग के बुधवार तक के आंकड़ों से पता चलता है कि इस बार पूरे देश में मानसून तय समय से छह दिन पहले पहुंच गया और मध्य और दक्षिण भारत के राज्यों में भारी बारिश दर्ज की गई है। मानसून का आगमन समय से होने से किसानों को खरीफ की फसलों की बुआई शुरू करने में मदद मिली है।
इन राज्यों में हुई सामान्य से ज्यादा बारिश
- गोवा में 50 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 39 प्रतिशत, गुजरात में 23 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में सात प्रतिशत अतिरिक्त वर्षा हुई है।
- दक्षिण भारत की बात करें तो तमिलनाडु में 56 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 43 प्रतिशत, कर्नाटक में 33 प्रतिशत तथा पुडुचेरी में 20 प्रतिशत अतिरिक्त बारिश हुई।
आईएमडी के अनुसार, इस बार पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम वर्षा, उत्तर-पश्चिम में सामान्य तथा देश के मध्य और दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।
मौसम विभाग ने कहा कि भारत के मुख्य मानसून क्षेत्र, जिसमें देश के अधिकांश वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र शामिल हैं, में इस मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान है। वहीं, मौसम एजेंसियों को उम्मीद है कि अगस्त तक ला नीना की स्थिति बन जाएगी।