- पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और कांग्रेस आलाकमान के बीच ठन गयी है. यही कारण है कि 25-25 के बैच में दिल्ली में कांग्रेस नेता पंजाब के विधायकों से मिल रहे हैं. इस समिति में मल्लिकार्जुन खड़गे, जेपी अग्रवाल और हरीश रावत शामिल हैं. ये सारी बैठकें दिल्ली में हो रही हैं. अमरिंदर सिंह के कैंप के लोग इस बात से नाराज हैं कि मामले को सुलझाने के बजाए पार्टी ने विधानसभा चुनाव के 8 महीने पहले समिति का गठन कर दिया. पार्टी के जानकारों का कहना है कि इससे स्थानीय इकाई में गलत संदेश गया है कि पार्टी में दो फाड़ हो गई हैं. अमरिंदर इस बात से भी बहुत नाराज हैं कि पार्टी ने नवजोत सिंह सिद्धू की बयानबाजी पर कुछ भी कार्रवाई नहीं की जिसके कारण सिद्धू लगातार पार्टी के औपचारिक स्टैंड से हठकर बयानबाजी करते रहे.
पार्टी के भीतर लोगों का मानना है कि क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू, प्रियंका गांधी के खास हैं, उन पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई और ना ही उनको कहा गया कि आप अमरिंदर के खिलाफ बयानबाजी बंद करें. कांग्रेस के अंदर एक बड़ा तबका मानता है कि ये गलत परंपरा शुरू की जा रही है जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है. कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि केवल अमरिंदर सिंह को दिल्ली बुलाकर मामले को सुलझाने की कोशिश की जानी चाहिए थी.
दिल्ली कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पंजाब कांग्रेस में इस वक्त 2 मुख्य मुद्दे हैं. पहला मुद्दा है कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह मिलने का वक्त नहीं देते और उनकी ऐवज में उनके प्रमुख सचिव सुरेश कुमार मिलते हैं. ये बात वरिष्ठ विधायकों के गले नहीं उतर रही है. सुरेश कुमार, कप्तान अमरिंदर सिंह के काफी खास हैं और उनकी हां और ना अमरिंदर सिंह की हां या ना ही मानी जाती है. दूसरा मुद्दा है नवजोत सिंह सिद्धू का जो खुलकर पंजाब सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं. नवजोत सिंह सिद्धू प्रियंका गांधी के काफी करीबी हैं और पिछले 2 सालों से अमरिंदर सिंह से नाराज चल रहे हैं. वो पंजाब कांग्रेस और सरकार में जिम्मेदारी चाहते हैं और अमरिंदर सिंह उनको कोई पद देने को अभी तैयार नहीं हैं.
मुख्यमंत्री बदलने की कोई संभावना नहीं
वहीं, सिद्धू के समर्थकों का कहना है कि अमरिंदर ने अकालियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं कि जिससे संदेश ये गया कि पार्टी अपना चुनावी वादा पूरा नहीं करना चाहती है. अब सवाल उठता है कि मामले को कैसे सुलझाया जाए. पहली बात यह है कि मुख्यमंत्री बदलने की कोई संभावना नहीं है. ज्यादातर विधायक नाराज होने के बावजूद अमरिंदर सिंह के साथ ही रहना चाहते हैं क्योंकि इस वक्त वो पंजाब के सबसे बड़े और शक्तिशाली नेता है.