- नई दिल्ली। दुनिया भर में शुरू हुआ बिजली संकट का असर अब भारत में भी दिखने लगा है। कई प्रदेश अपने यहां बिजली संकट की आशंका जताने लगे हैं, और इसे लेकर केन्द्र सरकार को पत्र लिख रहे हैं। हालांकि दूसरी तरफ केंद्र के मंत्री इस संकट को बेवजह बता रहे हैं और कह रहे हैं कि न तो देश में कोयले की किल्लत है और न ही ऐसा कोई संकट है। प्रदेशों और केंद्र के इन बयानों के बीच जानिये क्या कहते हैं बिजली और कोयले से जुड़े आंकड़े।
फिलहाल कितनी है देश में कोयले की उपलब्धता
कोयला मंत्रालय ने कहा है कि कोल इंडिया के मुख्यालय पर 4.3 करोड़ टन कोयले का भंडार है, जो 24 दिन की कोयले की मांग के बराबर है। कोयला मंत्रालय ने कहा कि बिजली संयंत्रों के पास करीब 72 लाख टन का कोयला भंडार है जो चार दिन के लिए पर्याप्त है। कोल इंडिया के पास 400 लाख टन का भंडार है जिसकी आपूर्ति बिजली संयंत्रों को की जा रही है। मंत्रालय के मुताबिक बिजली संयंत्रों में उपलब्ध कोयला एक रोलिंग स्टॉक है जिसकी भरपाई कोयला कंपनियों से दैनिक आधार पर आपूर्ति द्वारा की जाती है। इसलिए बिजली संयंत्र के पास कोयले के स्टॉक के घटने का कोई भी डर गलत है।
क्या है कोयले की मांग और सप्लाई का समीकरण
मंत्रालय के द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक बिजली संयंत्रों में कोयले की दैनिक औसत आवश्यकता लगभग 18.5 लाख टन प्रतिदिन है जबकि दैनिक कोयले की आपूर्ति लगभग 17.5 लाख टन प्रतिदिन है। सभी स्रोतों से कुल कोयले की आपूर्ति में से सीआईएल से बिजली क्षेत्र को वर्तमान कोयले की आपूर्ति प्रति दिन 14 लाख टन से अधिक है और घटती बारिश के साथ यह आपूर्ति पहले ही बढ़कर 15 लाख टन हो गई है और अक्टूबर 2021 के अंत तक प्रति दिन 16 लाख टन से अधिक तक बढ़ने की संभावना है। एससीसीएल और कैप्टिव कोयला ब्लॉकों से हर दिन 3 लाख टन से अधिक कोयले के योगदान की उम्मीद है। यानि अक्टूबर के अंत तक सप्लाई दैनिक आवश्यकता के मुकाबले ज्यादा होने के अनुमान है।