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कोरोना काल में भी 1.20 करोड़ रोजगार, पीएम मोदी ने विपक्ष की ओर से लगाए आरोपों का एक-एक कर दिया जवाब


नई दिल्ली। हाल के चुनावों मे रोजगार को विपक्ष की ओर से बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है। ऐसे में मंगलवार को प्रधानमंत्री ने आंकड़ों के साथ बताया कि विपक्ष के कुछ दल जहां संकट को बढ़ाने की कोशिश में जुटे थे वहीं देश का कदम बढ़ रहा था। इस दौरान स्टार्टअप, एमएसएमई और रोजगार के क्षेत्र में हुई प्रगति गिनाई। औपचारिक सेक्टर में लगभग 1.20 करोड़ रोजगार पैदा हुए। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए उनकी कविता की उन पंक्तियों को सुनाया, जिसमें बर्बर अंधियारे के बाद भी हिंदुस्तान के चमकने की बात कही गई है।

पीएम ने कहा कि कोरोना काल में देश ने इनोवेशन और स्टार्टअप के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। देश के युवा और स्टार्टअप एक तरह से पर्यायवाची बन गए हैं। भारत ने एक लीडरशिप भूमिका निभाई है। पीएम ने कहा कि कोरोना संकटकाल में जिन क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया, उनमें पहला एमएसएमई सेक्टर था। जो सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला भी क्षेत्र है, दूसरा खेती-बाड़ी का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में बंपर पैदावार हुई और सरकार ने रिकार्ड खरीदी की। पंजाब के किसानों के खाते में पहली बार एक साथ इतना पैसा गया, कि उनका कहना था पहली बार उन्होंने खाते में एक साथ इतना पैसा देखा।

60 से 65 लाख नौकरियां 18 से 25 वर्ष की उम्र से जुड़े लोगों को दी गईं

पीएम ने विपक्ष के रोजगार से जुड़े सवालों के भी जवाब दिए और बताया कि कितने नए रोजगार पैदा हुए इसके लिए ईपीएफओ का डाटा सबसे ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है। जिसमें वर्ष 2021 में लगभग 1.20 करोड़ नए लोग ईपीएफओ के पेरोल पर जुड़े है। यह सभी फार्मल जाब है। इनमें भी 60 से 65 लाख नौकरियां 18 से 25 वर्ष की उम्र से जुड़े लोगों को दी गईं हैं। साफ है कि पहली बार उन्हें पहली नौकरी मिली है।

कोरोना प्रतिबंधों के हटने के बाद नौकरी देने की रफ्तार हुई दोगुनी

इसके अलावा दूसरी भी कई रिपोर्ट से यह साफ होता है कि कोरोना प्रतिबंधों के हटने के बाद नौकरी देने की रफ्तार दोगुनी हुई है। वहीं नेसकाम का कहना है कि अकेले आइटी में 27 लाख नौकरियां सृजित हुईं हैं। इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में भारत ने तेजी से वृद्धि दर्ज की है। उसका सीधा लाभ रोजगार के क्षेत्र में होता है। वर्ष 2021 में यानी एक सालों में भारत में जितने यूनिकार्न बने,वह पहले के वर्षों में बने कुल यूनिकार्न से भी ज्यादा है और ये सब रोजगार की गिनती में नहीं आते हैं।