उल्लेखनीय है राज्य सरकार के इस प्रयास को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी सराहा है. स्वास्थ्य संगठन ने इस अभियान की तुलना पोलियो अभियान से भी की. WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में COVID-19 के मद्देनजर हाउस टू हाउस एक्टिव केस फाइंडिंग शुरू की है. रिपोर्ट के अनुसार इस प्रक्रिया में उन लोगों को जल्द से जल्द आइसोलेट किया जाता है जिनमें कोविड के लक्षण हैं.
WHO की रिपोर्ट में क्या किया गया दावा?
वैश्विक एजेंसी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य में सरकार की टीमें पांच दिनों में 75 जिलों के 97,941 गांवों में जाएंगी. यह अभियान 5 मई को शुरू हुआ था. रिपोर्ट के अनुसार हर मॉनिटरिंग टीम में दो सदस्य होते हैं, जो रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) किटों का उपयोग करके उन लोगों का टेस्ट करते हैं जिनमें लक्षण हैं. इस दौरान जो पॉजिटिव पाए जाते हैं उन्हें जल्दी से आइसोलेट किया जाता है और एक मेडिसिन किट दी जाती है. जो लोग पॉजिटिव पाए जाते हैं, उनके संपर्क में आए लोगों की RT-PCR जांच कराई जाती है.सभी जिलों के हर ब्लॉक पर दो मोबाइल वैन आवंटित
WHO की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य के सभी जिलों के हर ब्लॉक में दो मोबाइल वैन आवंटित की गई हैं. इसके साथ ही नियमित रूप से और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टेस्टिंग और सैंपलिंग जारी है.
रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने इस अभियान के लिए स्वास्थ्य विभाग से 141,610 टीमों और 21,242 पर्यवेक्षकों को तैनात किया है ताकि सभी गांवों तक पहुंच हो सके. डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस अभियान के दौरान उसके फील्ड ऑफिसर्स ने 2,000 से अधिक सरकारी टीमों की निगरानी की और कम से कम 10,000 घरों का दौरा किया.