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कोरोना से जंग जीतने के लिए केंद्र ने निकाला उपाय, राज्यों को UK मॉडल पर काम करने की दी सलाह


देशभर में लगातार 2 दिनों से रिकॉर्ड 2 लाख से ज्यादा कोरोना वायरस के मामले सामने आ रहे हैं। दिल्ली में कोरोना संक्रमण के इतने मामले आए हैं जितने महामारी के बाद से कभी नहीं आए थे। देश की राजधानी दिल्ली में भी बेकाबू कोरोना महामारी को देखते हुए कल सीएम केजरीवाल ने वीकेंड कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है जो आज रात से राज्य में लागू होगा। हालांकि, पिछले एक हफ्ते के दौरान हुई बैठकों में केंद्र ने राज्य सरकारों को यह सलाह दी है कि वे कोरोना महामारी की लगाम कसने के लिए ब्रिटेन के मॉडल को अपनाएं।

देश की केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यों को लोकल मूवमेंट पर प्रतिबंध लगाने होंगे, टीकाकरण में तेजी लानी होगी और इतना ही नहीं दूसरे राज्यों से डॉक्टर भी मंगाने चाहिए ताकि स्थानीय हेल्थकेयर वर्कफोर्स पर पड़ रहा दबाव कम किया जा सके। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यों को कोरोना की स्थिति से निपटने के लिए यूनाइटेड किंगडम का उदाहरण दिया गया है। यूके में बीते साल दिसंबर में कोरोना के नए स्ट्रेन के मिलने के बाद से कंटेनमेंट ज़ोन बनाए गए और वहां सख्त लॉकडाउन लगाया गया, साथ ही टीकाकरण की गति को भी तेज किया गया।

वहीं दूसरी तरफ भारत की रणनीति फिलहाल लॉकडाउन की बजाय माइक्रो-कंटेनमेंट की है। इससे लोकल मूवमेंट तो रुकता है लेकिन एक राज्य से दूसरे राज्यों के बीच आवाजाही जारी रहती है। सूत्रों के मुताबिक, यह दावा करना कि यूके की आबादी 6.6 करोड़ की है और इसलिए उसने अपनी दो तिहाई आबादी को टीका लगा दिया और इसके परिणाम स्वरूप वहां मामले कम होने शुरू हुए हैं, तो यह गलत धारणा है। क्योंकि जब आप साइंटिफिक पेपर्स देखेंगे तो पाएंगे कि यूके में कोरोना के मामले इसलिए घटने शुरू हुए हैं क्योंकि उन्होंने सख्त लॉकडाउन के बीच टीकाकरण किया है।

देश के सभी राज्यों को यह बता दिया गया है कि जब आप लॉकडाउन नहीं लगाते, तो माइक्रो-कंटेनमेंट बनाने होंगे, आवाजाही पर रोक लगानी होगी, ज्यादा से ज्यादा लोगों की कोरोना जांच करनी होगी। गुरुवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने मध्य प्रदेश में कोरोना की स्थिति को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की। इस मीटिंग में भी इस बात पर जोर दिया गया कि राज्य में लोगों की गैर-जरूरी आवाजाही और इकट्ठे होने पर रोक लगाई जानी चाहिए, खासतौर पर शहरी इलाकों में, जहां से कोरोना सबसे ज्यादा फैलने के चांस दिखाई दे रहे हैं।