- कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध के कारण सोमवार को देश के कई हिस्सों में जन्माष्टमी का पर्व सादगीपूर्ण ढंग से मनाया गया। जन्माष्टमी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और अन्य नेताओं ने लोगों को बधाई दी। मोदी ने ट्वीट किया, ”आप सभी को जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं। जय श्रीकृष्ण!” उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और कामना की कि यह पर्व देश में शांति, सौहार्द और समृद्धि लेकर आए।नायडू ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ”जन्माष्टमी के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कृष्ण का निष्काम भाव से कर्म करने का शाश्वत संदेश संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा रहा है।”उन्होंने कहा, ”इस पावन दिवस पर हम सभी पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने और सच्चाई के मार्ग पर चलने का संकल्प लें। जन्माष्टमी का यह पर्व हमारे देश में शांति, सौहार्द और समृद्धि लेकर आए।”केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने जन्माष्टमी के मौके पर लोगों को शुभकामनाएं दीं। राज्यपाल ने एक ट्वीट में कहा, ”केरल के लोगों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर मेरी तरफ से शुभकामनाएं। भगवान कृष्ण के जीवन और संदेश पर कथाएं और गीत हमें अधिक से अधिक नैतिक होने और आध्यात्मिक विकास की तरफ ले जाने में हमारा मार्गदर्शन करते हैं।” मुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पृष्ठ पर शुभकामनाएं देते हुए लिखा, ” महामारी के बीच जन्माष्टमी प्रेम और भाईचारे का दिन है। यह दिन कृष्ण की अवधारणाओं के अनुसार अच्छाइयां, न्याय की भावना और असहाय लोगों के लिए दया की भावना समाज के मन में लाये।” दिल्ली में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए निवारक उपायों के तहत जन्माष्टमी के मौके पर भक्तों को धार्मिक स्थलों पर जाने की अनुमति नहीं है। किसी भी आगंतुक की अनुपस्थिति में यहां कालकाजी मंदिर, छतरपुर मंदिर और बिड़ला मंदिर सहित धार्मिक स्थलों पर समारोह बड़े स्तर पर आयोजित नहीं किये जा रहे है और केवल उन अनुष्ठानों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जो भगवान कृष्ण के जन्म को चिह्नित करते हैं। कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि को रोकने के लिए, दिल्ली पुलिस ने लोगों से मंदिरों में नहीं जाने और घर पर जन्माष्टमी मनाने का रविवार को अनुरोध किया था। हालांकि, उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन के विभिन्न मंदिरों में यह त्योहार उत्साहपूर्वक मनाया गया। इन स्थानों पर कोविड प्रोटोकॉल की काफी हद तक अनदेखी की गई और अधिकांश भक्तों को मास्क नहीं पहने या सामाजिक दूरी का पालन नहीं करते हुए देखा गया। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर तड़के ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। वृंदावन में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही, जहां दिन के समय तीन मंदिरों में उत्सव मनाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने कहा, ”जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में शहनाई पर मधुर धुन बजने पर भक्तों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान के प्रांगण में नृत्य किया।” मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी राकेश तिवारी ने बताया कि द्वारकाधीश मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालु भगवान कृष्ण के “अभिषेक” में शामिल हुए। राधा रमन मंदिर में “अभिषेक” समारोह तीन घंटे से अधिक समय तक चला क्योंकि पुजारियों पद्मनाभ गोस्वामी, श्रीवत्स गोस्वामी, दिनेश चंद्र गोस्वामी और ओम गोस्वामी ने संयुक्त रूप से अनुष्ठान किया। एक पुजारी ने कहा कि कुल 27 क्विंटल दही, दूध, शहद, खांडसारी, घी और जड़ी-बूटियों का लेप भगवान कृष्ण के अभिषेक के लिए इस्तेमाल किया गया था। राधा दामोदर मंदिर में “अभिषेक” समारोह का मुख्य आकर्षण भगवान कृष्ण के जन्म को चिह्नित करने के लिए हल्दी और दही के मिश्रण से होली खेलना था। श्रीनगर में कश्मीरी पंडितों ने दो साल के अंतराल के बाद जन्माष्टमी का जुलूस निकाला। अधिकारियों ने बताया कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जुलूस शहर के हब्बा कदल इलाके के गणपतियार मंदिर से शुरू हुआ और ऐतिहासिक लाल चौक स्थित घंटाघर तक पहुंचा। पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित भक्तों ने रथ के साथ नृत्य किया और लोगों के बीच मिठाई बांटी।