- कोेरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत में इस समय कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीन का ही इस्तेमाल हा रहा है। जहां एक तरफ इन दोनों वैक्सीन में कौन सी अधिक कारगर इसको लेकर बहस जारी है तो वहीं दूसरी तरफ कोवैक्सिन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों को फिलहाल अंतरराष्ट्रीय यात्रा की छूट नहीं मिली है।
कोवैक्सिन को अभी नहीं मिली जगह
जानकारी के अनुसार WHO ने भारत बायोटेक निर्मित कोवैक्सिन को अपनी लिस्ट में नहीं रखा है। अगर कोई वैक्सीन EUL की लिस्ट में नहीं है या फिर किसी विदेशी देश की तरफ से अप्रूव नहीं की गई है। ऐसी परिस्थिति में यात्री को नॉन-वैक्सीनेटेड माना जाएगा।
वैकसीन की समीक्षा करेगा WHO
जानकारी के अनुसार भारत बायोटेक ने इच्छा जाहिर की है लेकिन डबल्यूएचओ की तरफ से अधिक जानकारी की जरूरत बताई गई है। वैकसीन की समीक्षा के बाद डबल्यूएचओ की तरफ से वैक्सीन को शामिल करने का फैसला किया जाएगा] ,जिसके लिए कुछ सप्ताह से लेकर महीने तक का समय लग सकता है।
कोविशील्ड को मिल चुकी है हरी झंडी
जिन देशों ने अंतरराष्ट्रीय यात्राओं की छूट दी है, उन्होंने अपनी खुद की रेग्युलेटरी अथॉरिटी या फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमर्जेंसी यूज लिस्टिंगकी तरफ से स्वीकृत की गई वैक्सीन को ही मंजूरी दी है। इस लिस्ट में मॉडर्ना, फाइजर, एस्ट्राजेनेका, जानसेन , सिनोफार्म/BBIP और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की बनी हुई कोविशील्ड भी इस लिस्ट में है। लेकिन कोवैक्सिन नहीं है।
इन देशों ने दी मान्यता
कोवैक्सीन पूरे भारत में बड़े पैमाने पर लगाई जा रही है लेकिन इसे किसी भी बड़े देश ने मान्यता नहीं दी है। कोवैक्सीन को 10 से कम देशों ने आधिकारिक तौर पर अपनी मान्यता दी है, जिनमें से इरान, नेपाल, फिलिपींस, मेक्सिको, गुएना, पराग्वे, जिम्बॉब्वे और मॉरिशस शामिल है।