- उसकी मौत पर प्रदेश की राजनीति में उबाल रहा। स्थिति यहां तक आ पहुंची कि राजभवन और सरकार में टकराव की हालत दिखी। पुलिस महानिदेशक को बुलाकर राज्यपाल को कहना पड़ा कि संदिग्ध मौत की सही दिशा में जांच हो। जनजातीय समाज से आने वाली संभावनाओं से लबरेज रूपा, रांची के रातू इलाके के मनुटोली की रहने वाली थी। 2018 बैच की दरोगा थी। साहिबगंज जिला में महिला थाना प्रभारी के रूप में पदस्थापित थी। पिछले माह तीन मई को साहिबगंज स्थित सरकारी क्वार्टर में उसकी लाश मिली। मौत की तस्वीर वायरल हुई, पंखा से लटकते हुए, गले में दो रस्सी के निशान, पांव बेड पर मुड़ी हालत में। शरीर पर भी दाग से निशान। रूपा की मां पद्मावती को शक है कि उसकी बेटी की हत्या की गई। एसपी को आवेदन देकर जांच कमेटी गठित करने की मांग की। घुटने पर पीटने जैसा निशान बताया पड़ोसी दो महिला दरोगा पर टार्चर करने का आरोप लगाया। यह भी कहा कि दस दिन पहले किसी पंकज मिश्रा को रूपा के पास भेजा था। घटना के चंद घंटे पहले रूपा ने मां को अपने अंतिम कॉल में उसने कहा था कि पानी पीने पर कुछ दवा जैसा लगा।
हेमन्त सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा का नाम आते ही मामले का रंग बदल गया। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने रूपा की हत्या की आशंका जाहिर करते हुए सीबीआइ जांच की मांग की। कहा कि हेमन्त सोरेन के करीबी को बचाने के लिए पुलिस गलत दिशा में जांच कर रही है। घटना के बाद जिले के एसपी, डीएसपी, सार्जेंट सब रूपा के आवास पहुंचे थे। मगर घटना के अगले दिन चार मई को पुजरावाबाड़ी थाना की पुलिस ने यूडी केस दर्ज किया। खुद एसपी पहली नजर में आत्महत्या मानते रहे। बात बढ़ी तो एसआइटी गठित हुई। केस दर्ज होने के दो ही दिन बाद छह मई को महिला जांच अधिकारी को हटाकर राजमहल के इंस्पेक्टर को केस का आइओ बनाया गया। इस दौरान परिवार, अनेक विधायक, विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग सड़क पर उतर हत्या का शक जाहिर करते हुए सीबीआइ जांच की मांग करने लगे। यहां तक की उसके अंतिम संस्कार में सांसद समीर उरांव और कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की भी शामिल हुए।