नई दिल्ली, । रूस और यूक्रेन के बीच विवाद गहराता जा रहा है। दोनों देशों के बीच लाखों सैनिकों की तैनाती से जंग जैसे हालात हैं। अमेरिका का कहना है कि रूस के सैनिक यूक्रेन पर कभी भी हमला कर सकते हैं। रूस और यूक्रेन के बीच अगर जंग होती है तो यह महज दो देशों के बीच युद्ध नहीं होगा। यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिका और नाटो के सदस्य देश आगे जरूर आएंगे। अगर ऐसा हुआ तो चीन प्रत्यक्ष रूप से रूस की मदद में आगे आ सकता है। ऐसी स्थिति में इसे महायुद्ध बनने से कोई नहीं रोक सकता। सवाल यह है कि क्या यह तीसरे महायुद्ध की दस्तक होगी?
1- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच निश्चित रूप से एक महाजंग जैसी तैयारी चल रही है। नाटो के सदस्य देश और अमेरिका भी इस युद्ध को टालने के लिए कूटनीतिक नहीं बल्कि सैन्य दबाव का अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाजंग की तैयारी ही महायुद्ध को टालने के लिए है। नाटो और अमेरिका यह दिखा रहे हैं कि जंग के हालात में यूक्रेन अकेला नहीं है। इसलिए वह इस प्रकार का दबाव रूस पर बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में कोई भी देश जंग की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि दिक्कत यह है कि रूस और यूक्रेन के बीच विवाद का कूटनीतिक समाधान नहीं है। ऐसे में सैन्य रणनीति के तहत नाटो और अमेरिका इस युद्ध को टालने की कोशिश कर रहे हैं।
2- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि दरअसल, यूक्रेन और रूस के बीच विवाद कोई ताजा नहीं है। 1990 के दशक तक यूक्रेन पूर्व सोवियत संघ का ही प्रमुख हिस्सा था। सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन और रूस दोनों संप्रभु राष्ट्र बन गए। यह शीत युद्ध का दौर था। इस दौरान सोवियत संघ और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर था। सोवियत संघ के विघटन के बाद इससे अलग हुए राज्यों ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति स्वीकार की। हालांकि, सोवियत संघ के विघटन के बाद भी रूस और अमेरिका के बीच रिश्ते बहुत मधुर नहीं रहे। दोनों देशों के बीच संबंधों में एक खिंचाव रहा। उधर, यूरोप से सटे स्वतंत्र राज्य पश्चिमी देशों और अमेरिका के नजदीक आए। सोवियत संघ से स्वतंत्र हुए राज्यों का यूरोपीय देशों और अमेरिका की निकटता रूस को पसंद नहीं आई।