गोरखपुर, खरमास की शुरुआत गुरुवार से हो गई है, जिसका समापन मकर संक्रांति (14 जनवरी 2022 को रात 8.49 बजे) को होगी। इस दौरान एक माह तक मांगलिक कार्य ठप रहेंगे। पं. नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार सूर्य जब धनु राशि में पहुंचते हैं तो धनु की संक्रांति लगती है। इसी दिन से खरमास प्रारंभ हो जाता है, जो मकर संक्रांति तक चलता है। इस दौरान भगवान की पूजा का विशेष महत्व है। अनेकों मंदिरों मे धनुर्मास का उत्सव मनाया जाता है। इस महीने में दूध से निर्मित पकवान (खीर आदि) के भोग का विशेष महत्व है। निष्काम भाव से धर्मशास्त्रों का वाचन, स्तोत्र पाठ आदि करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
खरमास में धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व
पं. शरदचंद्र मिश्र ने बताया कि नवग्रहों के स्वामी सूर्य जब-जब देवताओं के गुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन में गोचर करते हैं, तब- तब खरमास होता है। इसमें भी कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। हालांकि खरमास में पूजा-पाठ और पुण्य कार्य जैसे दान इत्यादि धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में धार्मिक कार्य और पुण्य करने से समस्त कठिनाइयां समाप्त होती हैं और सुख- शांति की वृद्धि होती है। वर्ष में दो बार, जब सूर्य धनु और मीन राशि में आते हैं तब खरमास लगता है। सूर्य किसी भी राशि पर एक महीने रहते हैं । धनु राशि में प्रवेश के समय बृहस्पति का भी तेज कमजोर हो जाता है और गुरु के स्वभाव में उग्रता आ जाती है।