ऊंटों को राजस्थान से लाने के दौरान निर्धारित मानकों का पालन भी नहीं किया जाता है। इसी को लेकर कोर्ट में केस फाइल किया गया था। कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है।मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ स्काउट्स एंड गाइड्स फॉर एनिमल्स एंड बर्ड्स नामक संगठन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं।
केस फाइल करने वाले याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि ऊंटों के परिवहन के लिए जानवरों को ले जाने और ले जाने के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया था और अधिकारी 26 जनवरी के आयोजन के लिए दिल्ली में उनके “अवैध परिवहन” के संबंध में कोई कदम उठाने में विफल रहे।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा कि जानवरों के परिवहन के नियमों में ऊंटों के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है। चूंकि मामला तकनीकी प्रकृति का है, इसलिए हितधारकों के साथ-साथ तकनीकी व्यक्तियों से परामर्श करने में अधिक समय लग सकता है।
बोर्ड ने बताया कि बीएसएफ ने कहा था कि ऊंटों के परिवहन पर राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र और एसओपी द्वारा जारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाता है। याचिका में अधिवक्ता अंकुर भसीन के प्रतिनिधित्व वाले एनजीओ ने कहा कि वह पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से ऊंटों के अवैध परिवहन के खिलाफ आवाज उठा रहा है, लेकिन एक भी नियम लागू नहीं किया गया है।
मालूम हो कि 26 जनवरी को राजपथ, इंडिया गेट पर गणतंत्र दिवस परेड में शो के उद्देश्य से ऊंट और अन्य जानवरों को ले जाने का कार्य स्थापित कानून का उल्लंघन है जिसे इस अदालत द्वारा अनियंत्रित नहीं छोड़ा जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि ये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
हर साल गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान हर साल हमेशा राजस्थान से ऊंटों को अवैध रूप से ले जाया जाता है। चूंकि यह एक विशेष जानवर के प्रति क्रूरता का मामला है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत सभी प्रतिवादी ऊंटों के हितों की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए बाध्य हैं।