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गुजरात सरकार को मछुआरों की परवाह नहीं, सीएम रुपाणी पर उनके मंत्री ने ही साधा निशाना


  • गुजरात सरकार में मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने रुपाणी सरकार पर ताऊते तूफान के बाद लोगों को दी जाने वाली राहत सामग्री में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है. गुजरात के मत्स्य राज्य मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी ने मंगलवार को कहा कि मछुआरे परेशानी का सामना कर रहे हैं लेकिन उन्हें विजय रूपाणी सरकार से बहुत मदद नहीं मिल रही है.

सोलंकी ने पिछले महीने तटीय इलाकों में आए चक्रवात ‘ताऊते’ के बाद मछुआरों के लिए राज्य सरकार के 105 करोड़ रुपये के राहत पैकेज देने में हो रही देरी को लेकर नाखुशी जताई है. उन्होंने कहा कि ताऊते चक्रवात के बाद सबसे ज्यादा नुकसान अमरेली के जाफराबाद, भावनगर के महुआ और उना जैसी जगह पर हुआ. खासकर समुद्र किनारे बसे मछुआरों को नुकसान हुआ है.

सोलंकी ने गांधीनगर में मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘यह सच है कि भाजपा सत्ता में है. लेकिन, मैं आपसे स्पष्ट रूप से कहता हूं. भाजपा के शासन में मछुआरों को बहुत मदद नहीं मिलती है. किसी को भी (सरकार में) उनके मुद्दों के समाधान की परवाह नहीं है. हालांकि मैं भी इस सरकार का हिस्सा हूं, मैं इस संबंध में ज्यादा कुछ नहीं कर सकता. यह भी एक सच्चाई है.”

भावनगर (ग्रामीण) के विधायक कोली (मछुआरे) समुदाय से आते हैं जो गुजरात में मछली पकड़ने में लगे तीन प्रमुख समुदायों में से एक हैं.

सोलंकी ने कहा, “हालांकि चक्रवात के बाद राहत पैकेज की घोषणा की गई थी, लेकिन इसका ठीक से कार्यान्वयन नहीं हुआ है. इसके अलावा, यह पैकेज समुद्र तट पर रहने वालों के लिए पर्याप्त नहीं है. मेरा मानना है कि सरकार को पैकेज की राशि बढ़ानी चाहिए.’

सोलंकी ने दावा किया कि उन्होंने गरीब मछुआरों की समस्याओं के बारे में पहले भी मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को कई ज्ञापन दिए थे. उन्होंने दावा किया कि मछुआरे और समुद्र तट पर रहने वाले लोग गरीबी में जी रहे हैं. वे समुद्र से खाली हाथ लौट रहे हैं. उनके लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि मत्स्य मंत्री जवाहर चावडा “काफी सहयोग करने वाले हैं लेकिन विवश हैं क्योंकि वह भी सरकार पर निर्भर हैं.”