न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ को अधिवक्ता संग्राम सिंह सरोन ने बताया कि उन्होंने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और दिल्ली की एक अदालत के ट्रांजिट रिमांड के आदेशों को चुनौती दी है, लेकिन चूंकि पंजाब की मानसा अदालत में कोई वकील इस मामले की सुनवाई नहीं कर रहा है। लारेंस बिश्नोई के मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
पीठ ने कहा कि यह बिल्कुल अनुचित है और याचिकाकर्ता बिश्नोई कानूनी सहायता वकील प्रदान करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते है।
पीठ ने कहा कि ये कानूनी सहायता वकील मामले से इन्कार नहीं कर सकते हैं या उन्हें पैनल से हटा दिया जाएगा। पीठ ने वकील से उन्हें कानूनी सहायता वकील प्रदान करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से संपर्क करने के लिए कहा।
वकील सरोन ने कहा कि वह ट्रांजिट रिमांड के दिल्ली अदालत के आदेश को चुनौती दे रहे हैं क्योंकि यह बिश्नोई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कुछ निर्देशों के विपरीत है।
पीठ ने कहा कि चूंकि पंजाब पुलिस मामले की जांच कर रही है, यह बहुत प्रारंभिक चरण में है। इस अदालत के लिए इस स्तर पर हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।
बिश्नोई के पिता पर 11 जुलाई को होगी सुनवाई
पीठ ने कहा कि हत्या पंजाब के मनसा में हुई है और इसलिए मामले की जांच करना पंजाब पुलिस का अधिकार क्षेत्र है और वे उसे (बिश्नोई) रिमांड पर ले सकते हैं। पीठ 11 जुलाई को बिश्नोई के पिता की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुई।
बता दें कि मूसेवाला हत्याकांड में दिल्ली की एक अदालत ने 14 जून को बिश्नोई को पंजाब ले जाने के लिए पंजाब पुलिस को ट्रांजिट रिमांड दिया था। अदालत ने आदेश पारित किया था क्योंकि पंजाब पुलिस ने मामले में औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने के बाद बिश्नोई को उसके सामने पेश किया था। इसने राज्य पुलिस को मामले के संबंध में बिश्नोई को मानसा अदालत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया था। पंजाब पुलिस ने कहा था कि मूसेवाला की हत्या एक अंतर-गिरोह का परिणाम है और इसमें बिश्नोई गिरोह शामिल था।