- दशहरे कि दिन निकलने वाली गोरक्षपीठ शोभा यात्रा में सामाजिक सौहार्द का जो रूप देखने को मिलता है, वह अन्य कहीं नहीं दिखता.
Gorakshpeeth Shobhayatra: गोरक्षपीठ सिर्फ उपासना का स्थल नहीं है, बल्कि जाति, पंथ मजहब के अंतर से दूर ऐसा बड़ा केन्द्र हैं, जहां सांस्कृतिक एकता की नजीर देखने को मिलती है. बात चाहे पीठ के आंतरिक प्रबंधन की हो या फिर जन सरोकारों की, यहां कभी भी जाति या धर्म की दीवार आड़े नहीं आती.
पीठ की सामाजिक समरसता की एक जीवंत तस्वीर हर साल विजयदशमी के दिन पूरी दुनिया के सामने आती है. इस गोरखनाथ मंदिर से निकलने वाली शोभायात्रा में मुस्लिम समाज द्वारा शोभायात्रा की अगुवाई कर रहे गोरक्षपीठाधीश्वर का अभिनंदन किया जाता है.