चहनियां। शासन द्वारा अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों की आय दुगुनी करने का लगातार दम्भ भरा जा रहा है। लेकिन उन्ही के अधिकारियों कर्मचारियों के हीलाहवाली और भ्रष्टाचार पूर्ण कार्यों का खामियाजा किसान भुगत रहे है। इसका ताजा उदाहरण है बलुआ पम्प कैनाल से गुरेरा होते हुए रइयाँ तक जाने वाली मुख्य नहर जो गुरेरा साइफन के पास क्षतिग्रस्त हो गई है। जिससे लक्षनपुर और गुरेरा के किसानों की कई एकड़ फसलें जलमग्न होकर बर्बादी की कगार पर पहुँच चुकी हैं। जिसे लेकर किसानों में आक्रोश ब्याप्त है। गुरेरा के कृषक गुड्डू पांडेय का कहना है कि नहर की मरम्मत कराने के लिए स्थानीय ठेकेदार को एक सप्ताह पूर्व ही कहा गया था। लेकिन अभी तक कोई करवाई नही हुई है। वहीं किसान हेल्प लाइन नम्बर पर फोन करके पम्प कैनाल को बन्द कराने के लिए कहा गया तो रविवार के दिन अवकाश होने की बात कहकर फोन काट दिया गया। स्थानीय किसान प्रकाश वर्मा ने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों के हित की बात करती है लेकिन धरातल पर सिंचाई विभाग के कर्मचारी कुम्भकर्णी निद्रा में लीन हैं। नहर क्षतिग्रस्त होने से गेहूं, आलू, प्याज, मटर, सरसो आदि की फसलों को भारी क्षति पहुँची है । अगर समय रहते नहर की मरम्मत कराई गयी होती तो फसले बर्बाद होने से बच गयी होती। लेकिन प्रशासन की उदासीन रवैये के कारण किसानों का कई एकड़ फसल जलमग्न हो गया। जिसको लेकर किसानों में रोष व्याप्त है। कहा कि नहर व टेल मरम्मत के नाम पर कोरमपूर्ति की जाती है। जब किसानों को पानी की जरुरत होती है तो पानी नहीं खोला जाता है और जब खाद की जरुरत होती है तो खाद ही समिति से नदारद हो जाती है। जबकि किसानों को पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था का वाहवाही जनप्रतिनिधयों द्वारा लूटा जाता है। यदि यही हाल रहा तो आक्रोशित किसान विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे। वहीं टेल्हू वर्मा, गुड्डू पाण्डेय, बच्चा वर्मा, प्रकाश, रविशंकर यादव, महेंद्र यादव ओमप्रकाश पाण्डेय, सत्यप्रकाश पाण्डेय, मुन्ना चौबे आदि किसानों ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए क्षतिग्रस्त नहर की अतिशीघ्र मरम्मत कराए जाने की मांग की है।