चंदौली। जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में पितृ विसर्जन पर लोगों ने अपने-अपने पूर्वजों को विधि विधान से तर्पण किया। इसके पूर्व लोगों ने सुबह जलेबी चढ़ाया जिसके बाद घर में बने विभिन्न पकवानों का पुरवां, परई में छतों, खलिहानों, खेतों आदि स्थानों पर चढ़ाकर अपने पित्रों से परिवार के सुख शांति के लिए कामना किया। जिसका सिलसिला दोपरह तक चलता रहा। चहनियां प्रतिनिधि के अनुसार पितृ विसर्जन के अवसर बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनीं गंगा तट पर हजारो लोगों ने अपने अपने पूर्वजों को विधि विधान से तर्पण किया । ये सिलसिला भोर से ही शुरु हो गया। भीड़ को देखते हुए घाट पर पुलिस फोर्स मौजूद रही। मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में घर के पूर्वज जो मृत्यु को प्राप्त कर चुके है पित्र के रूप में अपने अपने परिवार में आकर घर की रसोई में बनने वाले भोजन का कुछ अंश प्राप्त करना चाहते है। पितृपक्ष के अन्तिम दिन पितृविसर्जन के दिन पिण्ड दान के साथ तर्पण करके उनकी विदाई की जाती है। परम्परानुसार पितृ पक्ष में लगातार 15 दिनों तक लोग घरों में तरह तरह के भोजन पकवान बनाकर अपने पूर्वजों को निकालते है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर रविवार को पितृ विसर्जन के दिन बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनीं गंगा तट पर हजारों की संख्या में लोगो ने अपने अपने पूर्वजों को पिण्ड दान करते हुए तर्पण किया। सर्वप्रथम सैकड़ों की संख्या में लोग गंगा घाट पर या बाजारों में नाईयों से मुंडन कराकर गंगा में स्नान किया। तत्पश्चात गंगा घाट पर मौजूद वेद पाठी ब्राम्हणों के सानिध्य में मन्त्रोच्चार के साथ विधि विधान से पिण्ड दान की सामग्री व मिष्ठान आदि से पिण्ड दान करते हुए तर्पण किया। घाट पर मौजूद लोगों ने विधि विधान से ब्राम्हणों द्वारा मंत्रों के साथ तर्पण किया। वही घरों में कढी, चावल, फूलौरा, दही बाड़ा, मुछी, दही, पूड़ी आदि पकवान बनाकर दरवाजे पर या घरों की छतों पर नेनूआ के पत्तियों पर निकालकर पित्रों को स्वीकार करने के लिए आमंत्रित किया गया। घाट पर उमड़ी भीड़ को देखते हुए भारी मात्रा में पुलिस फोर्स तैनात रही।