चंदौली। सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने जन सूचना अधिकार अधिनियम के लंबित मामलों की सुनवाई जिलाधिकारी सभागार में सम्पन्न की गई। उन्होंने कहा कि प्रार्थना पत्रों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित किया जाए ताकि बिना वजह आयोग की कार्यवाही से बचे। जन सूचना अधिकारी अधिनियम की धारा 4-1बी का अनुपालन सुनिश्चित कराएं। आवेदक को प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराई जाए और जो प्रार्थना पत्र उनसे अथवा उनके विभाग से संबंधित न हो उन्हें संबंधित अधिकारी एवं विभाग को प्रत्येक दशा में 5 दिवस के अंदर उपलब्ध करा दें। सुनवाई में जिलाधिकारी चंदौली, अपर जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी समेत कई जन सूचनाधिकारी व प्रथम अपीलीय अधिकारी मौजूद रहे। सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने बताया कि सुनवाई सूचना आयोग, लखनऊ में होने पर आने-जाने में लोगों का समय और पैसा व्यय होता था। इसीलिए आयोग स्वयं सुनवाई करने के लिये जिले में आयोग ने व्यवस्था की है। उक्त सुनवाई में कई जन सूचनाधिकारियों को दंडित किया गया है। इस दौरान सूचना अधिकारी अधिनियम के तहत 214 मामलों की सुनवाई सूचना आयुक्त द्वारा किया गया। इस दौरान वादीगणों द्वारा अपना पक्ष रखा गया। संबंधित विभागों के अधिकारियों व जनसूचना अधिकारियों द्वारा इसका जवाब प्रस्तुत किया गया। राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त होने वाले पत्रों का समय से जवाब उपलब्ध करा दिया जाय। मामलों को अनावश्यक लम्बित न रखा जाय। इस दौरान जिलाधिकारी संजीव सिंह, अपर जिलाधिकारी उमेश मिश्रा उपस्थित रहे। गौरतलब हो कि २००५ में तत्कालीन यूपीए सरकर ने देश के नागरिकों को कुछ चीजों का छोड़कर बाकी सभी के जानकारी मांगने के उद्देश्य से जन सूचना अधिकार अधिनियम लाया। इसमें भी कांग्रेस सरकार ने निर्धन व्यक्तियों को जानकारी नि:शुल्क देने का प्राविधान कर दिया जिससे समाज का हर व्यक्ति विकास कार्यो सहित अन्य कार्यो की जानकारी प्राप्त कर सकें।