चंदौली। नव दिवसीय श्री राम कथा महामहोत्सव ख्यालगढ़ लौंदा में आयोजित चतुर्थ दिवस की कथा में श्री अखिला नन्द जी महाराज ने कहा कि भगवान शिव माता पार्वती को राम तत्व के विषय में बताते हुए कहते हैं कि राम ब्रह्म चिनमय अबिनासी। भगवान श्री रामचन्द्र जी ब्रह्म है, ईश्वर हैं। ईश्वर यानि परम सत्ता। इस संसार का नियंता। सृष्टि का सृजन, पालन और लय करने वाली शक्ति। जब सृष्टि नहीं थी तब केवल ब्रह्म ही था। ब्रह्म के सिवा कुछ भी नहीं था। उसी ने एक में से अनेक होने की इच्छा की। ब्रह्म निर्गुण निराकार है। वह जब मायाविशिष्ट बनता है तब प्रकृति के गुणों को स्वीकार करता है। तब वही ईश्वर ब्रह्मा विष्णु और महेश कहलाते हैं और वहीं ईश्वर जब अवतार लेते हैं तो उन्हें भगवान कहते हैं। तब माता पार्वती ने शिव जी से पूछा कि जो ब्रह्म रूप राम जी है फिर किस कारण से मनुष्य शरीर धारण करते हैं। तब बाबा विश्वनाथ जी कहते हैं। राम जनम के हेतु अनेका। परम बिचित्र एक ते एका। भगवान श्री रामचन्द्र जी के जन्म लेने के अनेक कारण हैं जो एक से बढ़कर एक एवं विचित्र है। जब जब धर्म का ह्वास होता है जब पृथ्वी पर असुरों का भार बढ़ जाता है तब तब कृपानिधान प्रभु भांति भांति के दिव्य शरीर धारण सज्जनों की पीड़ा का हरण करते हैं। राम जन्म के और कारणों को बताते हुए महाराज जी ने जय विजय एवं नारद मोह की कथा सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिए। कथा मुख्य रूप से दीनानाथ सिंह, परमहंस सिंह, हरिवंश सिंह, आलोक पाण्डेय, राम हरख यादव, जितेंद्र पाण्डेय, वासुदेव यादव, संतोष पाठक, जामवंत यादव, जोगिंदर सिंह सहित हजारों भक्तों ने कथा श्रवण किया।