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चंदौली। राष्ट्रपति से पुरस्कृत जलीलपुर बदहाल


पड़ाव। क्षेत्र के जलीलपुर गाँव को कुछ वर्ष पूर्व राष्ट्रपति द्वारा निर्मल और स्वच्छता के मामले में सम्मानित किया जा चुका है। बावजूद इसके जलीलपुर नईबस्ती गाँव की स्थिति फिलहाल काफी नारकीय है। जिसकी सुध लेने वाला ना तो कोई राजनेता है और ना ही कोई अधिकारी है। जबकि स्थानीय लोगों के अनुसार यह मामला पत्रक और समय-समय पर धरना प्रदर्शन के माध्यम से शासन प्रशासन के सभी महकमे में संज्ञान में दिया गया। परन्तु आज तक इस समस्या का निदान नहीं हुआ। वर्ष 2014 के पहले से ऐसी समस्या है। सत्ता में आने से पहले जिला पंचायत सदस्य, सांसद और विधायक समेत अन्य अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों द्वारा कई प्रलोभन दिए गए। जिसमें स्वच्छ भारत मिशन महत्वपूर्ण था। वर्तमान में सरकार भी लगभग 600 आबादी वाले क्षेत्र की सुध नहीं ले रही है। जबकि 2019 में ग्राम वासियों द्वारा लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने पर वर्तमान सरकार ने कच्चा नाला बनाने का काम शुरू किया था जो चुनाव परिणाम बाद ही गड्ढे खोदकर काम बंद करा दिया गया। वर्तमान में क्षेत्र का कूड़ा.कचरा गंदगी हीं राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित जलीलपुर गांव की पहचान है। सफाईकर्मी खुद को असमर्थ दिखाते हुए मामले से पल्ला झाड़ लेते हैं क्योंकि उनके ऊपर किसी उच्चाधिकारी या जनप्रतिनिधियों का कोई दबाव नहीं है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि तकरीबन 600 आबादी के क्षेत्र में लोग रहते है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो लगभग 600 आबादी जलीलपुर गांव छोड़कर पलायन के लिए मजबूर होगी। कुछ लोग तो अब तक अपनी संपत्ति बेचकर यहां से जा भी चुके हैं। साथ ही कई मकानों में ताला लटका हुआ है। लोगों ने कहा कि स्वच्छता अभियान का नारा तो काफी दिनों से दिया है लेकिन अभियान को सफल कराने में अधिकारी व नेता विफल दिख रहे है। रहवासी क्षेत्र में नारकीय जीवन जी रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों को इन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि अगर आज उक्त क्षेत्र में किसी बड़े मंत्री, मुख्यमंत्री का दौरा हो जाये तो आज उक्त समस्या का निदान हो जायेगा। लेकिन ऐसे अधिकारी चुप्पी साधे हुए है।