पड़ाव। सदियों सनातन से ऋषि-मुनियों और संतों ने अपनी दिनचर्या में प्रकृति के साथ जीवन जीने और प्रकृति के साथ चलने मे ही ईश्वर का स्वरूप माना है। वृक्ष शुरू से ही मनुष्य के साथ-साथ जीव जंतुओं के लिए लाभकारी रहा है। जबकि वृक्ष को भी देवता स्वरूप माना गया है। आप जितना भी इनकी सेवा करेंगे उतना ही संसार का भला होगा। वृक्ष से ही जल स्रोत छाया और ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में मिलता है। सदियों से ही ऋषि मुनि वृक्षों से भरा पड़ा घने जंगलों में ही तपस्या करते थे। अर्थात ध्यान मग्न होते थे। ध्यान करते समय भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है जो अधिक मात्रा में वृक्षों के रहने पर ही संभव होगा। आज के दौर में विकास तो हो रहा है लेकिन अंधाधुन पेड़ों की कटाई की वजह से विश्व कई परेशानियों से जूझ रहा है। अभी हाल ही में कोरोना संबंधित महामारी में काफी ऑक्सीजन की मारामारी हुई थी। उक्त बातें डोमरी स्थित गुरुधाम आश्रम आंजनेय मंदिर के प्रांगण में सद विप्रो द्वारा रखे गये वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान स्वामी कृष्णानंद जी महाराज ने कही। गौरतलब हो कि डोमरी क्षेत्र में गंगा तट पर स्थित दर्जनों आश्रमों में सबसे ज्यादा गुरुधाम आश्रम आंजनेय मंदिर के प्रांगण में हरियाली और पेड़ पौधा देखने को मिलता है क्योंकि सद् विप्र समाज के प्रणेता स्वामी कृष्णानंद महाराज ने अपने सभी अनुयायियों से कह दिया है जितना ही वृक्ष आप लगाओगे उतना ही स्वस्थ और खुशहाल रहोगे।