चकिया। स्थानीय नगर पंचायत के वार्ड नंबर 5 मां काली नगर के मां काली मंदिर प्रांगण में संगीतमय श्री हरि कथा ज्ञान यज्ञ की गूंज गुंजायमान है। शुक्रवार की रात्रि को कथा का रसपान कराते हुए मानस कोकिला साध्वी रानी पांडे ने भगवान शिव तथा सती जी के चरित्र पर प्रकाश डाला। कहा भगवान शिव के मना करने पर भी भगवती सीता का रूप धारण कर श्रीराम की परीक्षा लेनी चाही। इसके कारण भगवान शिव ने उनका त्याग कर दिया।कहा कि अपने माता.पिता, गुरु व मित्र के यहां बिना बुलाए भी चले जाना चाहिए। किंतु कहीं जाने से विरोध मिलता है तो वहां जाने से प्राणी का कल्याण नहीं होता।भगवान शिव के लाख समझाने पर भी वे नहीं मानी और अपने पिता दक्ष के यज्ञ में चली गई एवहां शिव का अपमान बर्दाश्त न कर पाने के कारण अपने शरीर का त्याग कर दिया। किसी भी स्त्री को ऐसी जगह कभी भी नहीं जाना चाहिए जहां उसके पति व परिवार का सम्मान न होता हो । प्राणी के द्वारा किए गए पाप जन्म जन्मांतर तक उसका पीछा नहीं छोड़ता। पापों से पीछा छुड़ाने का एक ही साधन है प्रायश्चित व ईश्वर भजन। ईश्वर भजन से ही हमारे भाग्य की दुषित रेखायें भी सुधर जाती हैं । वर्तमान के युवा पीढ़ी के चारित्रिक भविष्य की चिंता करते हुए कहा कि प्राचीन काल में हमारे माता.पिता ही बच्चों को रामायण श्री हरि कथा की कहानियां सुनाया करते व मंदिरोंए सत्संगो में ले जाया करते थे। आयोजक मंडल के सुरेंद्र श्रीवास्तव, निर्मला देवी श्रीकांत श्रीवास्तव आदि ने श्री हरि कथा पोती पर माल्यार्पण किया।