पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू के तेवर तो तल्ख है ही वहीं पार्टी के कई और नेता भी उनसे नाराज हैं। बताया जा रहा है कि केंद्रीय आलाकमान इस परिणाम पर पहुंचा है कि यदि असंतोष को जल्द शांत नहीं किया गया तो कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। पार्टी के रणनीतिकारों को यह भी लगता है कि अगर कोटकपुरा मुद्दे को एक पल के लिए छोड़ भी दें तो बेअदबी के मुद्दे को सुलझाना होगा क्योंकि पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं के असंतोष को दूर करने के लिए यही एक मात्र उपाय है। 4 साल पहले जब कैप्टन अमरिंदर ने बेअदबी मामले में कार्रवाई का वादा किया तब उन्होंने नहीं सोचा होगा कि यह आगे उनके लिए गले की फ़ांस बन जाएगा।
विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वादा किया था कि उनकी सरकार आने पर बरगाड़ी बेअदबी घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाएगी। इस मसले पर विधानसभा का सत्र भी हुआ जिसमें सभी विधायकों और मंत्रियों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा। सरकार ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया मगर हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एसआईटी की रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया बल्कि और दल के मुख्य अधिकारी कंवर विजय प्रताप सिंह पर ही सवाल खड़े कर दिए। अब कंवर विजय प्रताप सिंह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं।
लेकिन पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कैप्टन को विपक्ष के साथ-साथ अपने ही दल के मंत्रियों और विधायकों के सवालों का सामना करना पड़ रहा है।