जगत में सब कुछ हरि इच्छा से ही सम्पन्न होता है, चाहे वह सुख हो या दुख, हानि हो या लाभ, बिना ईश्वर की दृष्टि से कुछ भी संभव नही। उक्त विचार बरेली, उत्तरप्रदेश से आये प्रख्यात मानस वक्ता डॉ. उमाशंकर ने शुक्रवार को संकट मोचन मंदिर में श्रीराम विवाह पंचमी महोत्सव पर चल रहे श्रीरामचरितमानस व्यास सम्मेलन के सातवें दिन व्यक्त किये। डाक्टर उमाशंकर ने कहा कि गुरु एवं माता -पिता के आदेश को मानने वाला किसी भी परिस्थितियों में विचलित नही होता है। प्रभु श्रीराम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे ही उन्होंने शिव जी का धनुष तोड़ा, परशुराम दोनों भाइयों को क्रोधित हो मारने की बात कही, इस पर राम जरा भी विचलित नही हुए क्योंकि उन्होंने यह कार्य गुरु के आदेश पर ही किया था। जबलपुर, मध्यप्रदेश से आये डाक्टर बृजेश दीक्षित ने कहा कि कलियुग में कलह, क्लेश और विकार को दूर करने वाले एकमात्र देवता हनुमान जी है। उनसे बड़ा परोपकारी दूसरा कोई नही। पण्डित नन्दलाल उपाध्याय ने कहा कि काशी की महिमा अपरम्पार है। मानस के किष्किंधा काण्ड में भी काशी की चर्चा मिलती है। इसके अलावा सच्चिदानंद त्रिपाठी, विपिन बिहारी पाठक, नीरज मिश्र, श्रीकांत पाठक आदि ने भी मानस के विविध प्रसंगों की चर्चा की। व्यासपीठ का पूजन एवं आरती महन्त प्रोफेसर विश्वम्भरनाथ मिश्र ने किया। संचालन राघवेंद्र पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर प्रेमचंद मेहरा, विजय बहादुर सिंह आदि उपस्थित रहे।