पटना

जीवन रक्षक दवाइयों की कालाबाजारी, जमाखोरी रोकने के लिए रुपौली में छापेमारी


रूपौली (पूर्णिया)(आससे)। जीवन रक्षक दवाइयों की कालाबाजारी के साथ साथ जमाखोरी रोकने के लिए अनुमंडल क्षेत्र में दवाइयों के थोक तथा खुदरा विक्रेता के दुकानों पर उड़नदस्ता टीम द्वारा औचक निरीक्षण और छापेमारी की गई। जीवन रक्षक दवाइयों की कालाबाजारी रोकने तथा दवाइयां  उचित मूल्य पर आम जनमानस को सर्व उपलब्ध हो सके, उद्देश्य के लिए भवानीपुर एवम् रुपौली में औचक छापामारी की गई। छापामारी का नेतृत्व दंडाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त अपर अनुमंडलाधिकारी डॉ. संजीव कुमार सज्जन ने औषधि निरीक्षक सरोज कुमारी और पुलिस अवर निरीक्षक मुकेश कुमार मिश्रा के साथ किया।

छापेमारी दल द्वारा कोविड-19 के संक्रमण के समय जीवन रक्षक के रूप में प्रयुक्त दवाइयों से संबंधित जानकारी ली गई। बता दें कि रूपौली में थोक दवा विक्रेता मां काली मेडिसिन एजेंसी और भगत मेडिकल एजेंसी का जबकि भवानीपुर के थोक विक्रेता ओम मेडिकल, राम लखन एजेंसी, श्री गणेश मेडिकल एजेंसी तथा शिवम मेडिकल एजेंसी  का भौतिक सत्यापन किया गया। इन सभी थोक विक्रेताओं को शख्त निर्देशित किया गया कि किसी भी व्यक्ति को जरूरत के अनुसार ही दवाई दें। अत्यधिक मात्रा में दवाई ना दें ताकि जमाखोरी एवं कालाबाजारी को रोका जा सके।

जॉच दल द्वारा बिहार स्वास्थ्य समिति द्वारा चिन्हित जीवन रक्षक दवाइयों के अधिकतम खुदरा मूल्य, विक्रय मूल्य, स्टॉक, उपलब्धता तथा विक्रय आदि के बारे में पूछताछ किया। कई दुकानों पर दवाई ले चुके ग्राहकों से भी पूछताछ की गई तथा चिकित्सक के सलाह पर्ची को देखा गया। साथ ही दुकानदार उचित कीमत पर दवाई दिए हैं कि नहीं, इस संबंध में पूछताछ की गई। जांच दल द्वारा सभी दवाई विक्रेताओं को चेतावनी दिया गया कि अगर कोई भी जमाखोरी अथवा कालाबाजारी जैसी अनियमितताओं में संलिप्त पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम के तहत् कार्रवाई की जाएगी।

छापेमारी दल का नेतृत्व कर रहे अपर अनुमंडलाधिकारी ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा निर्धारित 17 प्रकार के औषधियां जिसे खुले बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना है। जिसके संबंध में जांच की जा रही है। 17 औषधियों में पॉरासिटामोल, विटामिन बी, जिंक सल्फेट, विटामिन सी, विटामिन बी कंपलेक्स, आइबरमेकटीन, एजीथ्रोमायसीन आदि शामिल हैं। विशेष तौर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन के संबंध में जांच पड़ताल की गई। कई दुकानदारों ने बताया कि जितनी मांग मुख्य स्टॉकिस्ट से की जा रही है उतनी आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जिसके कारण ग्राहकों को सभी प्रकार की दवाइयां को सर्व सुलभ बनाने में कठिनाई हो रही है।

अपर अनुमंडलाधिकारी ने जांच टीम में शामिल ड्रग इंस्पेक्टर सरोज कुमारी को निर्देश दिया कि वे स्वयं मुख्य स्टॉकिस्ट से बात कर धमदाहा अनुमंडल में सभी 17 प्रकार की दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कराएं। उन्होंने सभी थोक विक्रेता तथा खुदरा विक्रेताओं को निर्देश दिया कि राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा निर्धारित 17 प्रकार की जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता तथा दर के संबंध में प्रतिदिन प्रतिवेदन ड्रग इंस्पेक्टर को व्हाट्सएप के माध्यम से देना सुनिश्चित करें।

उन्होंने सभी दवाई के थोक व्यापारी और खुदरा विक्रेता को  सतर्क रहने तथा किसी भी असामाजिक तत्व जो कालाबाजारी तथा जमाखोरी में संलिप्त हैं,को मदद नहीं करने का चेतावनी भी दिया। उन्होंने सलाह दिया कि वे प्रकार के कालाबाजारी में या प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर बेचने में संलिप्त ना हो अन्यथा दुकान सील करने के अलावा गिरफ्तारी भी की जाएगी। उन्होंने सभी दवा विक्रेता को चेतावनी भी दिया कि अगर वे अवैध कार्यों में संलिप्त पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 एवं बिहार महामारी रोग कोविड-19 रेगुलेशन में निहित प्रावधानों के अनुसरण में निरोधात्मक कार्यवाही की जाएगी।

उन्होंने आम जनमानस से भी अपील किया कि अगर कोई भी थोक व्यापारी अथवा खुदरा विक्रेता उनसे दवाओं का प्रिंट रेट से अधिक मूल्य लेता है अथवा ब्लैक मार्केटिंग के तहत उपलब्ध कराता है तो इसकी शिकायत अनुमंडल प्रशासन को करें, विधिक कार्यवाही की जाएगी।

विदित हो कि प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग बिहार सरकार के आदेश के आलोक में जिला पदाधिकारी पूर्णिया द्वारा उड़नदस्ता दल का गठन किया गया है।कोविड-19 संक्रमण से उत्पन्न विषम परिस्थिति की पृष्ठभूमि में कई जीवन रक्षक औषधियों की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है। कई बार इन दवाइयों की उपलब्धता में जानबूझकर कमी तथा अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक कीमत पर दवाई बेचने की शिकायत प्राप्त हो रही थीं। इसी जमाखोरी एवं कालाबाजारी को रोकने के उद्देश्य से पूरे अनुमंडल क्षेत्र में लगातार छापेमारी अभियान चलाई जा रही है।