यह घटना जेल प्रशासन के लिए धब्बा है। यह हाल सिर्फ उत्तर प्रदेश की जेल या फिर तिहाड़ जेल का नहीं है। पूरे देश की जेलों का यही हाल है। कुख्यात मुख्तार अंसारी के लिए जेल में तालाब तक बना दिया गया था। डीएम जैसे अधिकारी जेल में मुख्तार के साथ बैडमिंटन खेलने जाते थे। ऐसा सहयोग जब किसी भी अपराधी को प्राप्त होगा तो वह छाती पर चढ़कर गुंडागर्दी करेगा ही। जेल से पेशी के लिए न्यायालय जाने के दौरान रास्ते में कई लोगों से अपराधियों को मिलवाया जाता है। यह सब सिर्फ धन उगाही के लिए किया जाता है।
इस दौरान अपराधी इतनी आसानी से रंगदारी वसूल लेता है कि जैसे वह जेल से बाहर हो। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसी जगह जहां बंदी रहते हैं, वहां सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। इसका भी रास्ता अपराधियों ने निकाल लिया। सीसीटीवी कैमरों पर तौलिया या फिर कोई कपड़ा टांग दिया जाता है। हाईटेक होने के बाद भी दिल्ली-एनसीआर की जेलें गैंगस्टर का सुरक्षित ठिकाना बन गई हैं।
इन गैंगस्टर को तभी रोका जा सकता है, जब उनको जेल में कोई भी सुविधा मुहैया नहीं कराई जाए। यदि गंभीर प्रकृति के अपराधों में कमी लानी है तो जेल में अपराधियों पर नकेल कसनी जरूरी है। पूरे देश में जो अपराध हो रहे हैं, उनमें जेल में बंद अपराधियों की ही संलिप्तता होती है। जेल से होने वाले अपराधों पर अंकुश केवल अवांछित सुविधाओं को बंद करने से लगेगा।
ईमानदार अफसर हैं हमारे पास
जेल परिसर में हाई सिक्योरिटी के तहत ऐसे अधिकारी तैनात किए जाएं जो ईमानदार हैं। ऐसे करीब साठ प्रतिशत अधिकारी हैं हमारे पास हैं जो जेल को सुधार सकते हैं। राष्ट्र विरोधी तत्व, बाहुबली व गैंगस्टर माहौल बिगाड़ने वालों पर ईमानदार अधिकारी ही नकेल कस सकते हैं। जब जेल प्रशासन ही भ्रष्टाचार में लिप्त होगा तो वहां कायदे कानून के कोई मायने नहीं होंगे। सिंगापुर जेल में बबलू श्रीवास्तव नाम का अपराधी बंद रहा था। भारत से जब सीबीआइ की टीम वहां गई तो जेल की आंतरिक सुरक्षा देखकर हैरान रह गई।