नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड के जोशीमठ में संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत से हस्तक्षेप की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता से तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए मंगलवार को अपनी याचिका का उल्लेख करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने सोमवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से पेश अधिवक्ता परमेश्वर नाथ मिश्रा से कहा, जिन्होंने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया गया था। प्रक्रिया का पालन करने और मंगलवार को फिर से उल्लेख करने के लिए कहा गया है।
वित्तीय सहायता और मुआवजे की भी मांग की गयी
पीठ ने कहा, ‘उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद मंगलवार को फिर से उल्लेख करें जब आपका मामला उल्लेखित सूची में है।’ सरस्वती ने दावा किया है कि यह घटना बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुई है और उन्होंने उत्तराखंड के लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजे की मांग की है।
याचिका में इस चुनौतीपूर्ण समय में जोशीमठ के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश देने की भी मांग की गई है।
संत की दलील में कहा गया है, ‘मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की आवश्यकता नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी होता है, तो यह राज्य और केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे युद्ध स्तर पर तुरंत रोका जाए।’
जोशीमठ, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली का प्रवेश द्वार, भूमि अवतलन के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।
600 परिवारों को तत्काल खाली करने का आदेश दिया गया
जोशीमठ धीरे-धीरे डूब रहा है और घरों, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि कई घर धंस गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोखिम वाले घरों में रह रहे 600 परिवारों को तत्काल खाली करने का आदेश दिया है।