वाराणसी

ज्ञान ही प्रगति का इंजन- एमजे अकबर


राष्ट्र रत्न श्री शिव प्रसाद गुप्त  द्वारा स्थापित काशी विद्यापीठ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर सात दिवसीय समारोह का आगाज
वाराणसी । भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला काशी विद्यापीठ ने अपनी गौरवशाली परम्परा को संजोते हुए बुधवार को अपनी स्थापना का सौ वर्ष पूरा कर लिया। इसके सौ वर्ष पूरे होने पर गांधी अध्ययन पीठ में शताब्दी वर्ष महोत्सव का भव्य आगाज किया गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद व पूर्व विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ पिछले सौ वर्षों से इल्म बांट रहा है। इल्म बांटने से बढ़ता है। ज्ञान ही प्रगति का इंजन है। ताकत तो मन की शक्ति से आती है और मन की शक्ति ज्ञान से आती है।
उन्होंने शताब्दी वर्ष समारोह के उद्घाटन सत्र में कहा कि महात्मा गांधी ने काशी विद्यापीठ की स्थापना जनआंदोलन की मजबूती के लिए की थी। वर्ष 1947 में हमें हुकूमत मिली लेकिन उसके पहले ही गांधी जी लोगों भय से आजादी दिला दी थी। भय से आजादी और आत्मविश्वास से ही अंग्रेजों ने भारत को हुकूमत सौंप दी। उन्होंने काशी विद्यापीठ के विद्यार्थियों को भय त्यागने और 21वीं शताब्दी को भयमुक्त करने का आह्वान किया।

समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रदेश के स्टाम्प एवं व न्यायालय शुल्क पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल ने कहा कि काशी विद्यापीठ के अध्यापकों एवं छात्रों ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि हमें फक्र है कि काशी में काशी विद्यापीठ पीठ है जहां भारत माता मंदिर है। विद्यापीठ प्रतिदिन भारत माता की पूजा करता है।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्थित गांधी अध्ययन पीठ में बुधवार को शताब्दी वर्ष समारोह के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो टीएन सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ भारतीय शिक्षा पद्धति पर आधारित है। हमारे देश की नई शिक्षा नीति भी भारतीय शिक्षा पर आधारित है। उन्होंने प्रदेश के मंत्री से   काशी विद्यापीठ को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने में सहयोग करने की अपील की तो मंत्री ने इसके लिए एक समिति गठित करने की सलाह दी जिस पर प्रो टीएन सिंह ने समिति जल्द गठित करने का आश्वासन दिया। कुलपति प्रो टीएन सिंह ने काशी विद्यापीठ के प्राध्यापकों एवं छात्रों से विद्यापीठ के गौरव शाली इतिहास में कुछ नई उपलब्धि जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने काशी विद्यापीठ में भारतीय भाषा में टेक्नोलॉजी की पढ़ाई शुरू करने पर भी बल दिया।
अतिथियों का स्वागत डॉ वंशीधर पांडेय ने किया। कुलसचिव डॉ साहब लाल मौर्य ने धन्यवाद प्रकाश किया। संचालन डॉ राहुल गुप्ता ने किया।

शताब्दी वर्ष महोत्सव का शुभारंभ प्रातःकाल विश्वविद्यालय परिसर स्थित महात्मा गांधी, डॉ भगवान दास और शिवप्रसाद गुप्त जी,आचार्य नरेन्द्र देव,डॉ आंबेडकर, चंद्रशेखर आजाद,लालबहादुर शास्त्री, राजनारायण ,इंदिरा गांधी आदि की प्रतिमाओं पर कुलपति प्रो टीएन सिंह ने माल्यार्पण किया। इस दौरान एनएसएस के विद्यार्थियों की ओर से भव्य और आकर्षक रैली निकाली गयी। इसके पश्चात गांधी अध्ययन पीठ में शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलगीत गायन से हुआ और इस कुलगीत के ऑडियो का लोकार्पण भी किया गया। समारोह के द्वितीय सत्र में ‘मोहन से महात्मा’ विषय को कठपुतली के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो योगेंद्र सिंह थे।

इस अवसर पर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो योगेंद्र सिंह, डॉ भगवान दास के प्रपौत्र प्रो पुष्कर रंजन, मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो शशि देवी सिंह, प्रो आरपी सिंह, प्रो अजीत शुक्ला, प्रो अशोक मिश्रा, प्रो वंदना सिन्हा, प्रो सत्या सिंह, प्रो ब्रजेश सिंह, डॉ के के सिंह, प्रो सुशील गौतम, प्रो मलिका पांडेय, प्रो गोपाल नायक, वित्त अधिकारी राधेश्याम, कुलानुशासक संतोष गुप्ता, प्रो ओमप्रकाश सिंह, प्रो रंजन , डॉ विनोद सिंह, डॉ अरुण शर्मा, हरिश्चंद्र, डॉ सुमन ओझा आदि उपस्थित थे।