आगरा, । दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल कहीं कमजोर तो नहीं हो गया है। यमुना की ताज से बढ़ती दूरी के बाद उसकी नींव सही-सलामत तो है। करीब 375 वर्ष पूर्व ताजमहल के निर्माण में प्रयुक्त हुए चूने के मसाले की पकड़ मजबूत है या नहीं। निर्माण में प्रयुक्त की गईं आयरन क्लैंप में जंग तो नहीं लगी है। इन्हीं सवालों का जवाब जानने और ताजमहल की मजबूती की परख को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा स्मारक का कंडीशन असेसमेंट कराया जा रहा है। डाटा कलेक्शन के बाद उसका विश्लेषण व अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। भविष्य में स्मारक में किए जाने वाले संरक्षण कार्यों में यह रिपोर्ट सहायक होगी।
370 साल पहले बना था ताजमहल
मुगल शहंशाह शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण मुमताज महल की स्मृति में वर्ष 1632-48 के मध्य कराया था। इसे बने हुए 370 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। लंबे समय से ताजमहल की सलामती को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
साल की लकड़ी पर टिकी है नींव
ताजमहल की नींव यमुना किनारे बनाए गए कुओं और उनमें प्रयुक्त हुई साल की लकड़ी पर टिकी है। विशेषज्ञ यमुना की ताजमहल से बढ़ती दूरी के चलते साल की लकड़ी को नमी नहीं मिलने से नींव की मजबूती को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। वहीं, स्मारक के इस्तेमाल में प्रयुक्त की गई आइरन क्लैंप में जंग लगने व उनके फूलने पर पत्थर कई जगह से चटकने के साथ गिरते भी रहे हैं। इसके चलते समय-समय पर ताजमहल की मजबूती की परख करने की मांग उठती रही है। इन्हीं कारणों के चलते एएसआइ द्वारा ताजमहल का कंडीशन असेसमेंट कराया जा रहा है।