वर्ष 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस सत्ता से बाहर होते ही कमजोर होती चली गई। जयप्रकाश अग्रवाल के बाद अरविंदर सिंह लवली, अजय माकन, शीला दीक्षित और सुभाष चोपड़ा के अध्यक्षीय कार्यकाल में फिर भी प्रदेश कांग्रेस जैसे तैसे घिसटती रही, लेकिन वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी के नेतृत्व में नेताओं के पार्टी छोड़ने की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही। एक सप्ताह के भीतर दो और बड़े विकेट गिर गए।
पिछले बुधवार को शीला दीक्षित सरकार में मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष रहे डा. योगानंद शास्त्री ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सदस्यता ले ली तो मंगलवार को पूर्व सांसद कीर्ति आजाद पत्नी पूनम आजाद के साथ तृणमूल कांग्रेस में चले गए।दिल्ली में पार्टी का जनाधार तो खत्म हो ही रहा है, आलाकमान भी शायद प्रदेश इकाई को लेकर बहुत गंभीर नहीं हैं। शायद इसीलिए करीब पौने दो साल पहले वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद महाबल मिश्रा को पार्टी निलंबित करके ही भूल गई।