नई दिल्ली। सड़क के किनारे पेड़ों को कंक्रीट से हटाने से संबंधित आदेश की अवहेलना करने पर दायर अवमानना याचिका पर आज दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। तीन नवंबर को हुई पिछली सुनवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण को लेकर एक बार फिर अधिकारियों को कटघरे में खड़ा किया था।
हम हारी हुई लड़ाई लड़ रहे- हाई कोर्ट
पेड़ों की कटाई की अनुमति देने में दिल्ली सरकार के अधिकारियों के लापरवाह दृष्टिकोण के लिए खिंचाई करते हुए अदालत ने कहा था कि हम प्रदूषण के खिलाफ एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं और हमें समाधान ढूंढना होगा। अदालत ने कहा था कि कोई भी परियोजनाओं को रोकना नहीं चाहता, लेकिन विकास प्रकृति और विरासत के साथ होना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता कि आप आसपास के 50 पेड़ काट दें।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय राजधानी में हर घंटे पांच पेड़ काटे जा रहे हैं और अधिकारी न्यायिक आदेशों के साथ-साथ अपने स्वयं के नियमों का पूर्ण उल्लंघन करके इसकी अनुमति दे रहे हैं।
उप वन संरक्षक ने अदालत को दिया था ये आश्वासन
उन्होंने कहा था कि उप वन संरक्षक ने अदालत को आश्वासन दिया था कि पेड़ों को काटने की अनुमति देने वाले सभी आदेशों में कार्रवाई के कारण शामिल होंगे और पेड़ की तस्वीरों के साथ ऑनलाइन अपलोड किया जाएगा।
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा था कि पेड़ों की कटाई के अनुरोधों पर मौखिक आदेश लिखने के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए यहां न्यायिक अकादमी से एक अनुरोध किया गया है। इस पर अदालत ने कहा था कि सरकार आवासीय कालोनियों में पेड़ काटने की इजाजत नहीं देगी।