- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 में हुए वायु प्रदूषण में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी मकानों को गर्म करने के लिए लगाए जाने वाले हीटर और भोजन पकाने के दौरान उठने वाले धुएं की रही। पीएम 2.5 प्रदूषकों के संबंध में किए गए एक अध्ययन में यह कहा गया है। हालांकि, दिल्ली में हाल के दिनों में जैव ईंधन के उपयोग का कोई आकलन उपलब्ध नहीं है, लेकिन बड़ी संख्या में बेघर लोग लकड़ी और कचरा जलाकर उसकी गर्मी तापते हैं।
नीतिगत अध्ययन करने वाले दिल्ली के एनजीओ काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरमेंट एंड वाटर के अध्ययन के अनुसार, ‘दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 में दिल्ली में हुए वायु प्रदूषण में आवासीय क्षेत्र (घर में खाना पकाना, हीटर, वाटर हीटर और बिजली का बल्ब आदि) से निकले पीएम2.5 प्रदूषकों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत थी।’
दिल्ली में डेढ से दो लाख बेघर
दिल्ली में करीब डेढ से दो लाख बेघर लोग हैं। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के अनुसार, जनवरी 2021 में 319 आश्रय गृह बनाए गए थे जिनमें 19,116 लोगों के रहने की क्षमता थी। एनजीओ के अनुसार, ‘हालांकि, इन रैन बसेरों में दिल्ली के बेघर लोगों में से महज 10 प्रतिशत को ही आश्रय मिल सकता है, ऐसे में बड़ी संख्या में बेघर लोग सड़कों पर रहने के लिए मजबूर हैं।’
कचरा भी जलाया जाता है
उसके अनुसार, ‘सड़कों पर रहने को मजबूर ये लोग लकड़ी और अन्य जैव ईंधन जलाकर सर्दियों में खुद को गरम रखने की कोशिश करते हैं। गर्मी पाने और अन्य कारणों से कचरा भी जलाया जाता है जिससे दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा है।’ अध्ययन के अनुसार, पिछले साल सर्दियों में दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब होने के पीछे बहुत बड़ा कारण लंबे समय पर पराली जलाया जाना भी था।