IHC में दायर याचिका में कहा गया कि नवाज शरीफ बीमारी के इलाज के लिए लाहौर हाई कोर्ट की अनुमति से विदेश गए और शहबाज शरीफ ने एक हलफनामा दिया था कि उनके भाई नवाज ठीक होने के बाद वापस लौट आएंगे लेकिन वे नहीं आए।
विभिन्न अदालतों ने नवाज शरीफ को भगोड़ा घोषित करने की मांग की। साथ ही शहबाज शरीफ और नवाज शरीफ पर अदालत की अवमानना के लिए मुकदमा चलाने और नवाज शरीफ की वापसी के आदेश की मांग की गई। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और उनके भाई नवाज शरीफ, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को याचिका में पक्षकार बनाया गया है। रजिस्ट्रार कार्यालय ने आपत्ति जताई कि आवेदन लाहौर उच्च न्यायालय के समक्ष लाया जाना चाहिए, क्योंकि हलफनामा वहां प्रस्तुत किया गया था।
2019 में इलाज के लिए देश से बाहर गए थे नवाज
साल 2018 में अदालत ने अल-अजीजिया स्टील मिल्स (Azizia Steel Mills ) भ्रष्टाचार मामले में नवाज शरीफ को सात साल जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें कुल 11 साल जेल की सजा सुनाई गई और 8 मिलियन पाउंड (1.3 बिलियन रुपये) का जुर्माना भी लगाया था। हालांकि, 2019 में लाहौर उच्च न्यायालय (LHC) ने उनकी सजा पर रोक लगाते हुए नवाज को विदेश जाकर इलाज की इजाजत दी थी। नवाज शरीफ 19 नवंबर 2019 को लंदन के लिए रवाना हुए और उसके बाद से वे कभी देश नहीं लौटे हैं। 2019 में लाहौर हाई कोर्ट ने सजा पर रोक लगाते हुए नवाज को इलाज के लिए देश से बाहर जाने की इजाजत दे दी थी। 19 नवंबर 2019 को वे लंदन के लिए निकल गए और तब से वापस पाकिस्तान नहीं लौटे।