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दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर मांगा जवाब


नई दिल्ली, । नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों से वसूली करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाब मांगा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के आयुक्त को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 21 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी। पीठ ने इस बीच उनको अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अधिवक्ता हिनू महाजन और विधि छात्र अमनदीप सिंह गहलोत ने अधिवक्ता युद्धवीर सिंह चौहान के माध्यम से याचिका दायर करके कहा है कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से दिल्ली के विभिन्न स्थानों का दौरा किया और दंगों के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान को देखकर हैरान रह गए।

 

उन्होंने कहा कि दंगों में नष्ट की गई संपत्तियों से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि इस संबंध में उन्होंने प्रतिवादियों को प्रतिवेदन देकर इसके लिए जिम्मेदार लोगों से वसूली करने की मांग की थी, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिला। अपनी याचिका में उन्होंने मांग की है कि दंगे के दौरान नष्ट हुई संपत्तियों का आकलन करने के लिए एक स्वतंत्र तंत्र स्थापित किया जाए और पहचान करके उक्त व्यक्तियों से इसकी वसूली की जाए।