नयी दिल्ली। दिवाली का त्योहार अगले सप्ताह है और इस मौके पर सूखे मेवे का बाजार पूरी तरह सज चुका है। घरों की खरीदारी के साथ-साथ कॉर्पोरेट गिफ्टिंग और शादियों के लिए भी मेवे की डिमांड इस साल काफी बढ़ी है। हालांकि, ट्रंप की टैरिफ नीतियों और वैश्विक व्यापार अस्थिरता के चलते बादाम, पिस्ता और अखरोट जैसी चीजों के दाम पहले से बढ़ चुके हैं। भारत में ड्राई फ्रूट्स की मांग अगस्त से दिसंबर के बीच सबसे अधिक रहती है। यही वजह है कि अगस्त से पहले ही आयात में तेजी देखने को मिलती है। इंडस्ट्री के विशेषज्ञ बताते हैं कि त्योहारों के समय सांस्कृतिक आदतें और गिफ्टिंग की परंपरा मेवों की खपत बढ़ा देती है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर पारस जसराई ने कहा, त्योहारी महीनों में मांग अचानक बढ़ जाती है। घरों से लेकर कॉर्पोरेट गिफ्टिंग और शादियों तक इसका असर देखने को मिलता है।
आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में अगस्त से दिसंबर तक: बादाम का मासिक आयात औसतन $94.4 मिलियन (लगभग 785 करोड़ रुपए) रहा, जबकि पूरे साल का औसत $84.8 मिलियन (लगभग 705 करोड़ रुपए) था। काजू का आयात त्योहारी महीनों में $173.9 मिलियन (लगभग 1445 करोड़ रुपए) रहा, जबकि साल का औसत $134.8 मिलियन (लगभग 1120 करोड़ रुपए) था। किशमिश और अखरोट में भी इसी तरह की तेजी देखी गई। नट्स एंड ड्राई फ्रूट्स काउंसिल (इंडिया) के प्रेसिडेंट गुंजन जैन बताते हैं, 2025 में कच्चे काजू का आयात 1.3-1.4 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है। किशमिश और अखरोट की डिमांड भी तेज है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ ट्रेड एग्रीमेंट्स ने विशेष ड्राई फ्रूट्स के आयात को बढ़ाने में मदद की है। ऑस्ट्रेलिया से बादाम का आयात अप्रैल-जुलाई में 93 प्रतिशत बढ़ा। ओमान और सऊदी अरब से खजूर का आयात क्रमश: 66 प्रतिशत और 25 प्रतिशत बढ़ा। यूएई और अमेरिका से पिस्ता का आयात भी तेजी से बढ़ा। जसराई के अनुसार, त्योहारी मांग के दबाव में घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात बढ़ता है। इसकी वजह से कीमतों पर भी दबाव आता है क्योंकि आपूर्ति को एडजस्ट होने में समय लगता है।
काजू में अगस्त-दिसंबर 2024 के बीच औसत महंगाई 9.4 प्रतिशत रही, जबकि पूरे साल का औसत 3.1 प्रतिशत था। त्योहारी सीजन में बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति के कारण कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच सकती हैं।
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