नई दिल्ली, । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की बैठक आज यानी शनिवार को होगी। इस बैठक में सीमा, सुरक्षा और सड़क, परिवहन, उद्योग, पानी और बिजली जैसे बुनियादी ढांचे से जुड़े मुद्दों के साथ व्यापक मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। बैठक में गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव शामिल होंगे। बैठक में गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा के मुख्यमंत्रियों और दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव के प्रशासकों के भाग लेने की संभावना है। यह बैठक कोरोना वायरस महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद होगी।
राज्यों के अधिकारी प्रस्तुत करेंगे प्रजेंटेंशन
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्री को संबंधित राज्यों के बीच सीमा मुद्दों, सुरक्षा से संबंधित मामलों, कानून व्यवस्था, सड़क, परिवहन, उद्योग, पानी और बिजली जैसे बुनियादी ढांचे से संबंधित विवरणों से अवगत कराया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि दो घंटे से अधिक लंबी बैठक में भाग लेने वाले सभी राज्यों से संबंधित अधिकारी गृह मंत्री के सामने प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करेंगे और बेहतर समन्वय और कार्य के लिए बैठक के परिणाम को लागू किया जाएगा।
1956 में क्षेत्रीय परिषदों का हुआ गठन
क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय एकता लाना है। इन परिषदों के निर्माण का विचार 1956 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा रखा गया था। यह सुझाव पंडित नेहरू ने ऐसे समय में दिया था जब भाषाई पैटर्न पर राज्यों के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप भाषाई शत्रुता और कड़वाहट हमारे राष्ट्र के ताने-बाने के लिए खतरा बन रही थी। नेहरू के दृष्टिकोण के आलोक में, राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के भाग- III के तहत पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी। इसमें पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद, उत्तरी क्षेत्रीय परिषद, केंद्रीय क्षेत्रीय परिषद, पूर्वी क्षेत्रीय परिषद और दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद शामिल हैं।